SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 275
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsun Gyanmandir स्त्रीषखं स्त्रियाः सखायम् 17. प्रमदे कुमारीपुत्र कानोनम् 18. मेधायै रथकारं माहियेण करियां जातम् 18. धैर्याय तक्षा सूत्रधारम् 20. // 6 // तपसे कौलालं कुलालापत्यम् 21. मायायै कर्मार लोहकारम् 22. रूपाय * मणिकारं रत्न कतारन 23. शुभे शुभाय वपं वीजवतारम 24, शरयायै इषुकारं वाणकर्तारम 25. हेत्यै धनुःकारं चाप लन्नुभमायरेभहसायकारिमानन्दाय॑स्त्रीषुखम्प्रमद कुमारीपुत्रम्मे धावैरथकारन्धैायताणम् // 6 // [6] तपसकौलालम् // तप सेकौलालम्मायायैकुरिं, रूपार्यमणिकार६ शुभेचुप शरव्या याऽइषुकार६ हुत्यैर्धनुष्कारकर्मणेऽच्याकारन्टुिष्टटायरज्जुसर्ज। म्मृत्त्यवेमृगुयुमन्तंकायश्वनिनम् // 7 // नदीभ्यः पौज्जुि ष्ठठम् // नदीभ्यः पौज्जुिष्टमुक्षीकाभ्योनैषांदम्पुरुषव्याग्घ्रा / कारिणम 26 कर्मण ज्याकारं प्रत्यञ्चनकतारम 27. दिष्टाय रज्जुस रज्जोः स्रष्टारं निर्मातारम 28. मायबे मृगयुमृगग्राहम्२८. अन्तकाय खनिनं शुनो नेतारम 30. // 7 ॥न दोभ्यः पौञ्जष्ठ पुञ्जिष्ठोन् त्यजः पुलकसस्तदपत्यम् 31. ऋक्षोकाभ्यो नैषादं निषादपुत्रम् 32. पुरुषवधानाय दुर्मदःउन्मत्तम् 33. गन्धर्वापसरोभ्यो व्राता सावित्रीपतितम् 34. प्रयुग्भ्यः उन्मत्तम् 35. सर्प For Private And Personal
SR No.020861
Book TitleUvvatbhashya
Original Sutra AuthorN/A
Author
Publisher
Publication Year
Total Pages454
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy