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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भाषांतर अध्य०१८ ॥९८४॥ आथी हर्षयुक्त मनवाळा महेंद्रसिंहने दूरथी आवतो जोइ सनत्कुमार पण उभा थइ सामा आब्या. महेन्द्रसिंह सनत्कुमारना उत्तराध्य-56 पगमा पज्यो, सनत्कुमारे तेने उठावीने दृढ आलिंगन आप्यु. बेय जण मनमा घणो हर्ष पाम्या अने विद्याधरे आपेला आसन उपर पन सूत्रम् बेठा. बीजा विद्याधर लोको ए बन्नेनी बाजुमां बेसी गया. तदनंतर आनंदाश्रुथी पूरित नेत्रवाळा सनत्कुमारे पूछ्यु के-'हे मित्र ! ॥९८४ तमे एकलाज आ अटवीमां केम आवी चड्या ? अने 'हु अत्रे छु' ए तमे केम जाण्युं ? वळी मारा वियोगा मारा माता पिता शुं करे छे ?' आम पूछतां महेंद्रसिंहे सघळो वृत्तांत कही संभळावे ते पहेला महेन्द्रसिंहने विलासिनीओए खूब अंगे मर्दन करी नवराव्या ते पछी बन्नेये भोजन साथे कयु. भोजन थइ रह्या पछी महेन्द्रसिंहे सनत्कुमारने पुज्यु-ते वखते तमने घोडो क्या लइ गयो ? पछी तमे क्या स्थिति करो ? अने आ बधी समृद्धि तमने केम मळी ?' सनत्कुमारे विचार्य के पोतानुचरित्र पोताने मुखे कहे, योग्य नहीं तेथी तेणे पोते परणेली खेचरेन्द्र विद्यारनी पुत्री विपुलमतीने आंखथी इशारो कर्यो एटले तेणे पोताना मिय सनत्कुमारनो वृत्तांत पोतानी विद्याना बळथी कहेवा मांडयो,-ते वखते तमे वधा देखतां कुमारने घोडो वेगथी महोटी अटवीमा लइ गयो अने बीजे दिवसे पण तेवीज रीते घोडो दोड्यो जतो हतो त्यां मध्यह समय थयो. भूख तरसथी आकुल तथा अति श्रांत | थयेको घोडो जीभ बहार काढी उभो रह्यो कुमार घोडा उपरथी उतरी पडया के तेज क्षणे घोडो पडीने मरी गयो. कुमारस्ततः पादाभ्यामेव चलितः तृषाक्रांतश्च सर्वत्र जलं गवेषयन्नपि न प्राप. ततो दीर्घाध्वश्रमेण सुकुमारत्वेन चात्यंतमाकुलीभूतो दूरदेशस्थितं सप्तच्छदं वृक्षं पश्यन् तदभिमुखं धावन कियत्कालानंतरं तत्र प्राप्तः. छायायामुपविष्टः पतितश्च लोचने भ्रामयित्वा कुमारः, अत्रावसरे कुमारपुण्यानुभावेन वनवासिना यक्षेण जलमानीतं, في السياسلطالقانطلاقليمية في التقاليد الفيابانيفية الفا الله لنا الفنان الحاليلها ستالیف جا الاعلان عن الافعا عن خالتهداف المالي انعقدت يافيا ar For Private and Personal Use Only
SR No.020857
Book TitleUttaradhyayan Sutram Part 04
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorLakshmivallabh Gani
PublisherShravak Hiralal Hansraj
Publication Year1937
Total Pages246
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_uttaradhyayan
File Size13 MB
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