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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 900 तुलसी शब्द-कोश १.६८.७ 'रघुकुल केतू'= रघुकुल में पताका के समान सर्वोपरि राम (आदि)। मा० २.१२६.८ 'रघुकुलचंदु' = रघुकुल में चन्द्रमा के समान आह्लादकारी । मा० १.३५० 'रघुकुल तिलक'= रघुवंश में तिलक के समान श्रेष्ठ । मा० २.५२.१ 'रघु कुलदीप'= रघुवंश को प्रकाशित करने वाले दीपक के समान =राम । मा० २.३६.७ रघुकुलनायक' = रघुवंश में अग्रणी, श्रेष्ठ= राम । मा० ७.८५.१ रघुकुलभानु'=रघवंश में सूर्यवत् प्रकाशकारी= राम मा० १.२७६ 'रघुकुलमनि' = रघुवंश में शिरोमणि । मा० १.११६ रघचंदु : रघुवंश में चन्द्रमा के समान आह्लाद, शान्ति आदि बिखेरने वाले । मा०. २.२३६ रघुनंदन : रघुनंदू । मा० १.२४.८ रघुनंदनु : रघुनंदन+कए । एकमात्र राम । मा० २.१४१.७ रघुनंदू : रघुवंश को आनन्दित करने वाले राम । मा० २.२६३.४ रगुनाथ, था : रघुवंश का स्वामी=राम । मा० १.३८ रघुनाथु : रघुनाथ+कए । एकमात्र रघुवंश का स्वामी राम । 'कह रघुनाथ ।" मा० २.१४६.३ रघनायक : रघुनाथ । मा० १.७५.८ रघुनायकु : रघुनाथु । मा० २.१३७.५ रघुपति : रघुनाथ । मा० १.८.५ रघुपते : रघुपति+सम्बोधन । मा० ५ श्लोक २ रघुपुगव : रघुवंश में श्रेष्ठ=राम । मा० ५ श्लोक २ रघुपति : रघुपति । कवि० ६.३४ रघुवंश, स : रघओं का कुल । मा० २ श्लो० ३; १.४८.७ रघुवंसिन्ह : रघुबंसी+संब० (सं० रघुवंशिनाम्)। रघुवंशियों । 'रघुबंसिन्ह महुं जहँ कोउ होई ।' मा० १.२५३.१ रघबंसी : वि.पु. (सं० रघुवंशिन्) । रघु के कुल की सन्तति । मा० १.२८४.४ रघबर : रघुपुंगव । मा० १.६.६ रघुबरनि : रघुबर+संब० । रघुवरों= राम आदि चारों भाइयों (को) । 'नेकु बिलोकि धौं रघुबरनि ।' गी० १.२८.१ रघुबीर, रा : रघुवंश के वीर पुरुष राम (आदि)। मा० १.२१; ५०.८ रघुबीर : रघुबीर+कए । राम । मा० २.१४४.४ रघुबीरै : रघुवीर को राम को । 'हृदय घाउ मेरे पीर रघुबीर।' गी० ६ १५. रघुराई : रघुराय । मा० १.४६.७ रघुराउ, ऊ : रघुराजु (दे० राउ)=रामचन्द्र । मा० २.२६१, १२.३ For Private and Personal Use Only
SR No.020840
Book TitleTulsi Shabda Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBacchulal Avasthi
PublisherBooks and Books
Publication Year1991
Total Pages612
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size13 MB
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