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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir तत्वनिर्णयप्रासा त्सवदाः संतु ॥” ऐसें कहके दूसरे नैवद्यके ऊपर चुलुकक्षेप करे.॥ ॥ इंद्रवज्रा॥ यो जन्मकाले पुरुषोत्तमस्य सुमेरुशृंगे कृतमजनैश्च ॥ देवैः प्रदत्तः कुसुमांजलिस ददातु सर्वाणि समीहितानि ॥१॥ ॥ वसंततिलका ॥ राज्याभिषेकसमये त्रिदशाधिपेन । छत्रध्वजांक तलयोः पदयोर्जिन ।। क्षिप्तोतिभक्तिभरतः कुसुमांजलियः । स प्रीणयत्वनुदिनं सुधियां मनांसि ॥२॥ ॥शार्दूल ॥ देवेंद्रैः कृतकेवले जिनपतौ सानंदभत्तयागतैः। संदेहव्यपरोपणक्षमशुभव्याख्यानबुद्धयाशयः॥ आमोदान्वितपारिजातकुसुमैर्यः स्वामिपादाग्रतो । मुक्तस्स प्रतनोतु चिन्मयहृदां भद्राणि पुष्पांजलिः ॥३॥ इन तीनों वृत्तोंकरके तीन वार पुष्पांजलिक्षेप करे. ॥ ॥ इंद्रवज्रा ॥ लावण्यपुण्यांगभृतोर्हतो यस्तवृष्टिभावं सहसैव धत्ते ॥ सविश्वभर्तुलवणावतारो गर्भावतारं सुधियां विहंतु ॥१॥ ॥ अनुष्टुप् ॥ लावण्यैकनिधेर्विश्वभस्तिद्वद्धिहेतुकृत्॥ लवणोत्तरणं कुर्याद्भवसागरतारणम् ॥२॥ इन दो वृत्तोंकरके दो वार लवण उत्तारना.॥ ॥अनुष्टुप् ॥ सक्षारतां सदासक्तां निहंतुमिव सोद्यमः ॥ लवणाब्धिलवणांबुमिषात्ते सेवते पदौ ॥१॥ For Private And Personal
SR No.020811
Book TitleTattva Nirnayprasad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVallabhvijay
PublisherAmarchand P Parmar
Publication Year1902
Total Pages863
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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