SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 493
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir ३८३ पञ्चविंशस्तम्भः। अर्थः-परनिंदा, परद्रोह, परस्त्री, परधनकी वांछा, मांसभक्षण, म्लेच्छकंद-लशुनादिभक्षण, इनको वर्जना. । वाणिज्यमें, खामीकी सेवामें, कदापि कपट न करना; ब्राह्मण, स्त्री, गर्भ और गौ, इन चारोंकी रक्षा करनी; देव, ऋषि और गुरुकी सेवा करनी. । अतिथीयोंका पूजन करना, धनके अनुसार दान देना, आत्मघात नही करना, परको पीडा न करनी. । जन्मपर्यंत यावज्जीवे तबतक विधिपूर्वक उपवीत धारण करना, शेष शिक्षाक्रम पूर्ववत् चारों वर्णोका कथन करना. ॥ पीछे सो बटुकृत, गुरुको स्वर्ण, वस्त्र, धेनु, अन्न, दान करे.। यहां बटूकरणमें वेदी, चतुष्किका, समवसरण, चैत्यवंदन, व्रतानुज्ञा, व्रतविसर्ग, गोदान, वासक्षेपादि नहीं है. ॥ इति बटूकरणविधिः ॥ इत्याचार्यश्रीवर्द्धानसूरिकृताचारदिनकरस्य गृ० उपनयनादिकीर्तननामद्वादशमोदयस्याचार्यश्रीमद्वि० बा० स० त० समाप्तोयं २४ स्तम्भः ॥ १२ ॥ इत्याचार्यश्रीमद्विजयानंदसूरिविरचिते तत्त्वनिर्णयप्रासादग्रंथे द्वादशमोपनयनादिसंस्कारवर्णनोनाम चतुर्विशस्तम्भः ॥ २४ ॥ ॥ अथपञ्चविंशस्तम्भारम्भः॥ अथ पंचविंश स्तंभमें अध्ययनारंभविधि लिखते हैं ॥ अश्विनी, मुल, पूर्वा ३, मृगशीर्ष, आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य, अश्लेषा, हस्त, शतभिषक्, स्वाति, चित्रा, श्रवण, धनिष्ठा, येह नक्षत्र और बुध, गुरु, शुक्र, येह वार विद्यारंभमें शुभ है. अर्थात् इनोंमें प्रारंभ करी विद्या प्राप्त होती है. रवि और चंद्र, मध्यम है. मंगल और शनिवार, त्यागने योग्य है. । अमावास्या, अष्टमी, प्रतिपत् ( एकम), चतुर्दशी, रिक्ता, षष्ठी, नवमी, येह तिथियां विद्यारंभमें सदाही वर्जनी.। अथ उपनयनसदृश दिन और लग्नमें विद्यारंभसंस्कारका आरंभ करिये, तिसका यह विधि है. । गृह्यगुरु प्रथम विधिसें उपनीत पुरुषके घरमें पौष्टिक करे; पीछे गुरु, मंदिरमें, वा उपाश्रयमें, वा कदंबवृक्षकेतले, For Private And Personal
SR No.020811
Book TitleTattva Nirnayprasad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVallabhvijay
PublisherAmarchand P Parmar
Publication Year1902
Total Pages863
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy