SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 224
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir ११४ तत्त्वनिर्णयप्रासादहैं, अर्थात् पूर्वोक्त दुषणोंकरके जे संयुक्त हैं, तिनोंका. क्योंकि, पूर्वोक्त साम्राज्यरूप रोग आत्माकों मलिन करने और दुःख देनेवाला है, इस वास्ते वृथाही है ॥ २५॥ अथाग्रे स्तुतिकार असत्वादी और पंडितजनोंके लक्षण कहते हैं. स्वकण्ठपीठे कठिनं कुठारं परे किरन्तः प्रलपन्तु किंचित् ॥ मनीषिणां तु त्वयि वीतराग न रागमात्रेण मनोऽनुरक्तम्॥२६॥ व्याख्या–(परे ) परवादी जे हैं, वे (स्वकण्ठपीठे ) अपने कंठपीठमें ( कठिनं ) कठिन-तीक्ष्ण (कुठारं) कुठार-कुहाडा (किरन्तः) क्षेपन करते हुए ( किंचित् ) कुछक (प्रलपन्तु ) प्रलपन करो, अर्थात् परवादी अप्रमाणिक युक्तिबाधित किंचित् तत्वके स्वरूपकथनरूप कठिन कुठारकुहाडा अपने कंठपीठमें क्षेपन करो-मारो, यद्वा तद्वा वोलो, सत्मार्गके अनभिज्ञ होनेसें, अपने आत्माकी हानि करो, परंतु हे वीतराग ! ( मनीषिणां तु ) मनीषि-पंडित-सबुधिमानोंका तो (मनः) मन-अंतःकरण ( त्वयि ) तेरे विषे (रागमात्रेण) रागमात्र करके (न) नहीं (अनुरक्तं ) रक्त है, किंतु युक्तिशास्त्रके अविरोधि तेरे कथनके होनेसें तेरे विषे पंडितजनोंका मन अनुरक्त है ॥ २६ ॥ - अथाग्रे जे पुरुष अपनेकों माध्यस्थ मानते हैं, परंतु वेभी निश्चय मत्सरी हैं, तिनका स्वरूप कथन करते हैं. सुनिश्चितं मत्सरिणो जनस्य न नाथमुद्रामतिशेरते ते ॥ माध्यस्थमास्थाय परीक्षकाये मणौ चकाचे च समानुबन्धाः॥२७॥ व्याख्या हे नाथ ! ( सुनिश्चितं ) हमारे निश्चित करा हुआ वर्ते है कि (ते) वे जन (मत्सरिणः) मत्सरी (जनस्य) पुरुषकी (मुद्रा) मुद्राकों (न) नहीं ( अतिशेरते ) उलंघन करते हैं, अर्थात् ऐसे जनभी मत्सारयोंकी पंक्ति मेंही निश्चित करे हुए हैं; कैसे हैं वे जन ? (ये) जे (परीक्षकाः) परीक्षक होके और (माध्यस्थ्यम्-आस्थाय ) माध्यस्थषणेको धारण करके ( मणौ ) मणिमें (च) और ( काचे ) काचमें ( समानुवन्धाः) सम अनुबंधवाले हैं. For Private And Personal
SR No.020811
Book TitleTattva Nirnayprasad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVallabhvijay
PublisherAmarchand P Parmar
Publication Year1902
Total Pages863
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy