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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रथम खण्ड नींव डाली। 1928 में स्थापित इस संगठन का नाम था "हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिक आर्मी'। इसी संगठन के एक प्रमुख नेता थे, सरदार भगत सिंह। 1928 में सरदार वल्लभ भाई पटेल के नेतृत्व में करांची में कांग्रेस का अधिवेशन हुआ। इसमें कांग्रेस ने जनता से कर न देने को कहा। इस क्रम का सर्वाधिक प्रभावी आन्दोलन गुजरात में बारडोली में दृआ। किसानों ने कर न अदा करने की घोषणा की। फलतः सरकार कर वसूलन में असमर्थ रही। ___ 30 अक्टूबर 1928 को पंजाब में साइमन कमीशन के बहिष्कार को लेकर आयोजित जुलूस का नेतृत्व कर रह पंजाब केसरी लाला लाजपतराय का लाठी चार्ज के दौरान बेरहमी से पीटा गया, जिससे कुछ समय बाद उनकी मृत्यु हो गई। उस समय पुलिस दल का नेतृत्व ब्रिटिश अफसर 'साण्डर्स' कर रहा था। क्रान्तिकारियों ने उसे अमृतसर में गोली से उड़ा दिया। जनता का मनोबल बढ़ाने के लिये एवं गूंगी सरकार के कान खोलने के लिए, सर्वाधिक सुरक्षित जगह केन्द्रीय विधानसभा में 8 अप्रैल 1928 को दो बम फेंके गये। बमों से किसी को मारने का कोई उद्देश्य नहीं था, फलतः खाली स्थान पर इन्हें फेंका गया। बम फेंकने वालों ने भागने की भी कोई कोशिश नहीं की। भगतसिंह और बटुकेश्वरदत्त को गिरफ्तार कर लिया गया। उनके इस प्रयास से पूरे देश में उनकी भारी प्रशंसा हुई। वे आख्यान पुरुष के रूप में स्थापित हुए। बम काण्ड के बाद जो मुकदमा चला उसमें भगतसिंह, राजगुरु एवं सुखदेव को फांसी हुई एवं अन्य सात को आजीवन कारावास हुआ। घटना के सूत्रधार आजाद अब भी शासन की पकड़ से बाहर थे। बाद में इलाहाबाद में अल्फ्रेड पार्क में उन्हें पुलिस ने घेर लिया। एक को घेरने सैकड़ों की संख्या में पुलिस थी। मुकाबला बहादुरी से हुआ। पुलिस कप्तान अपने कुछ अंग्रेज सहयोगियों के साथ घायल हो गया, आजाद भी शहीद हो गये। उस समय खौफ इतना था कि मरने के बाद भी कोई पास जाने को तब तक तैयार नहीं हुआ जब तक कि आजाद के मृत शरीर पर अनेक गोलियां नहीं चलाई गईं। क्रान्तिकारियों के इतिहास में एक महत्त्वपूर्ण घटना 1930 में घटी। 18 अप्रैल 1930 को 'इण्डियन रिपब्लिक आर्मी' के क्रांतिकारियों ने सूर्यसेन के नेतृत्व में चटगांव के पुलिस शस्त्रागार पर कब्जा कर लिया। कुछ समय तक चटगांव ब्रिटिश शासन से मुक्त रहा। दिसम्बर 1930 में सोन क्रान्तिकारियों विनय बोस, बालद गुप्ता और दिनेश गुप्ता ने कलकत्ता की राइटर्स बिल्डिंग में प्रवेश कर ब्रिटिश पुलिस अधीक्षक की हत्या कर दी। चटगांव विद्रोह के अधिकांश कार्यकर्ता घटना के बाद भाग निकले थे। उनमें से सूर्यसेन और तारकेश्वर को मृत्युदण्ड दिया गया। संगठन की दो महत्त्वपूर्ण युवा सदस्थायें भी थीं, इनमें प्रीतिलता बट्टेदार ने आत्म हत्या कर ली एवं कल्पना दत्त को आजीवन कारावास हुआ। 12 मार्च 1930 'दांडी मार्च' के कारण स्मरण किया जाता रहगा, उस दिन महात्मा गांधी 79 स्वयंसेवकों के साथ नमक पर लगाये गये कर को वापिस लेने की मांग करते हुए, समुद्र किनारे जाकर नमक बनाने के उद्देश्य से, ‘सावरमती आश्रम' (अहमदाबाद) से पैदल निकले. वह आगे बढ़ते गये एवं उनके पीछे कारवां बढ़ता गया। ) अप्रैल 1930 को गांधी जी दांडी पहुँचे। वहाँ उन्लान यमद्रतट से एक मुट्ठी नमक उठाकर 'कानून' तोड़ा। यह आन्दालन देशव्यापी बना। लगभग एक लाख लोग इस आन्दालन में गिरफ्तार किये For Private And Personal Use Only
SR No.020788
Book TitleSwatantrata Sangram Me Jain
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain, Jyoti Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2003
Total Pages504
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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