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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 352 स्वतंत्रता संग्राम में जैन __पंडित जी का जन्म उत्तर प्रदेश में बड़ौत के अपमानित भी होना पड़ा। फिर भी आप परिषद् के निकट ग्राम विजबाडा के धार्मिक प्रवृत्ति के व्यवसायी महामंत्री चुने गये। श्री कुन्दनलाल जैन के घर दिनांक 15 अक्टूबर 1915 तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री जवाहरलाल नेहरू का को हुआ था। युवावस्था से ही होनहार, कुशाग्र मवाना में नागरिक अभिनंदन व स्वागत आपके सान्निध्य कारण तथा आसपास विद्या का कोई में हआ था। स्वतंत्रता सेनानी के नाते ही मवाना में क्षेत्र न होने से परिवार ने प्रारम्भिक शिक्षा के उपरांत ऑनरेरी मजिस्ट्रेट का पद सरकार द्वारा आपको दिया आपको स्याद्वाद महाविद्यालय, वाराणसी में प्रवेश गया जो 4 वर्ष तक रहा। देश की अनेक शिक्षा दिलाया जहां से आपने न्यायतीर्थ और सिद्धांत शास्त्री संस्थाओं से संबद्ध रहते हुये आप लगभग 16 वर्ष की उपाधियां प्राप्त की। तक ए0एस0 इंटर कालिज के अध्यक्ष रहे तथा वहां 1936 में आप श्री कुंदकुंद जैन विद्यालय, डिग्री कॉलेज की स्थापना कराई। आप उसके संस्थापकों खतौली में अध्यापक के पद पर कार्यरत हुये। 1937 में से हैं। 1986 में रामजानकी रथ के भ्रमण पर में हस्तिनापुर मेले में 'दस्सों को श्रीपूजा का अधिकार जिले में प्रतिबंध होते हुये भी आपने जबरदस्ती मवाना है' विषय पर भाषण देने के कारण आपको खतौली में भ्रमण कराया तथा जेल यात्रा की। 1990 में जिला विद्यालय की नौकरी से भी हाथ धोना पड़ा। 1939 कारसेवक अध्यक्ष के रूप में जेलयात्रा की। हस्तिनापुर में अ०भा०दि) जैन परिषद् के मुख्य पत्र वीर के तीर्थक्षेत्र कमेटी के वरिष्ठ सदस्य तथा मेला कमेटी के सहसंपादन का कार्य सम्भाला और राष्ट्रीय आन्दोलनों संरक्षक आप रहे। में भाग लेना प्रारम्भ कर दिया। कांग्रेस का साथ देते रहन-सहन में भारी सादगी और निर्भीक विचारों हुये नमक सत्याग्रह और भारत छोड़ो आन्दोलन में से संपन्न पं0 जी समाज के उन बहुमुखी व्यक्तियों में आपने भाग लिया और जेल यात्रा की। से थे, जो जैन-जगत और मानव कल्याण के कार्य ___1942 के भारत छोड़ो आन्दोलन में पुलिस बराबर में लगे रहे। वे आत्मप्रशंसा से मुक्त, निष्कलुष व्यक्तित्व आपके पीछे लगी रही मगर अपने बुद्धि चातुर्य से आप से संपन्न महापुरुष थे। आपने समाज में महिलाओं उसके पंजे में नहीं आये। प्रांतीय धारा सभाओं के चुनाव को सम्मानपूर्ण स्थान एवं समान अधिकार दिलाने के में आपने अपना सब कुछ कांग्रेस के प्रचार में लगा लिये सदैव पहल की। गंभीर चिंतक, ओजस्वी और दिया। आप मवाना तहसील कांग्रेस कमेटी के प्रमुख स्पष्टवक्ता, जिनवाणी विशेषज्ञ, शास्त्रों के मर्मज्ञ, कट्टर कार्यकर्ता रहे थे। हिन्दुत्व की भावना से ओतप्रोत, अहिंसा-पुजारी, कारिता के क्षेत्र में 'वीर' का सम्पादन निडर एवं साहसिक व्यक्तित्व के धनी पंजी का 'विश्व-मित्र' का सहसंपादन तथा 'कुन्दनशील' के 77 वर्ष की आयु में 8 अगस्त 1992 को निधन हो संस्थापक-संरक्षक आप रहे। 1946 में आप मवाना गया। आपके परिवार ने आपके नाम पर एक ट्रस्ट नगरपालिका के अध्यक्ष निर्वाचित हुये। यह पद संभालने बनाया है, जो साहित्य सेवा में संलग्न है। मवाना में पर आपने यहां विद्यमान सभी हिंसक बूचडखानों को उनके नाम पर एक बाजार व सड़क हैं। प्रस्ताव है बन्द करवा दिया और अहिंसा की अखंड ज्योति कि मवाना में किसी चौराहे पर आपकी मूर्ति लगायी जलाई। 1950 में हुए आ0भा0दि0जैन परिषद् के अधि जाये। यह जानकारी आपके ज्येष्ठ पुत्र श्री सुरेशचंद वेशन में हरिजन मंदिर प्रवेश के प्रस्ताव के कारण (जो इस ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं) ने मेरठ में एक आपने लोगों के आक्रोश को सहा तथा आपको मुलाकात में दी। पीक For Private And Personal Use Only
SR No.020788
Book TitleSwatantrata Sangram Me Jain
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain, Jyoti Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2003
Total Pages504
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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