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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 342 स्वतंत्रता संग्राम में जैन बचपन से ही आपको जैनध श्री विजयकुमार जैन म के आदर्श सत्य, अंहिसा, राष्ट्रसेवा और सामाजिक कार्यों में गहरी अभिरुचि अस्तेय की शिक्षा प्रदान की वाले श्री विजयकुमार जैन, पुत्र-श्री दलीपचंद जैन का थी। आप बाल्यकाल से ही जन्म 25 जन 1923 को हुआ। आपके पिता भी जेल कांग्रेस के प्रति आकर्षित रहे यात्री रह हैं। 1942 में विजयकुमार जी एस0 एन0 हैं। क्योंकि आपके पिताजी भी जी0 हाईस्कल, होशंगाबाद में ग्यारहवीं के छात्र थे, निष्ठावान् कांग्रेसी थे। तभी आन्दोलन में सक्रिय हो गये और स्कूल छोड़ आपकी शिक्षक के रूप में प्रथम नियुक्ति दिनांक - दिया। 15 अगस्त 1942 को आप हरदा में गिरफ्तार 3-7-1939 में तिवरखेड़ ग्राम में हुई थी। लेकिन । कुछ समय के पश्चात् ही पूज्य महात्मा गांधी के कर लिये गये। पहले आप अन्डर ट्रायल कैदी के रूप आह्वान पर स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े। आपने शिक्षण में रहे फिर 6 माह की सजा आपको सुनाई गई। कार्य से त्याग पत्र देकर दिनांक 22-5-1941 को 15-3-1943 को आप जेल से रिहा हुए। व्यक्तिगत सत्याग्रह तिवरखेड़ ग्राम से किया था। अनेक आ0- (1) म0 प्र0 स्व) सै0, भाग-5, पृष्ठ-27 तथा 348 स्थानों पर आजादी का शंखनाद करते हुए जनजागृति 7 (2) स्व। स) हो0, पृष्ठ-118 करने तथा ब्रिटिश शासन को बदलने के अभियोग । में इन्हें दिनांक 25-9-1941 से नौ माह का कारावास श्री विजयचंद जैन हुआ था। विधि स्नातक श्री विजयचंद जैन का जन्म 1916 आजादी के बाद दिनांक 23-8-1948 स पुनः में जयपर (राज.) के एक सम्पन्न जैन परिवार म आपकी नियुक्ति शासकीय बुनियादी माध्यमिक शाला, आमला में हुई। तब से आपका शिक्षकीय जीवन पनः श्री नाथूलाल जैन के घर हुआ। 1935 से वे राष्ट्रीय प्रारम्भ हुआ, आपने आमला, भौंसदेही, रेलवे प्रवृत्तियों में भाग लेने लगे तथा प्रजामण्डल के जनपदशाला आमला और मुलताई में शिक्षकीय कार्य स्वयंसेवक और बाद में कमाण्डर बने। 1939 में उन्हें किया है। दिनांक 17-12-1972 को महामहिम इस कारण अपनी रेलवे की नौकरी छोडनी पड़ी। 1942 माननीय राष्ट्रपति जी द्वारा आपको "राष्ट्रीय पुरस्कार" के भारत छोडो आन्दोलन के समय प्रजामण्डल की प्राप्त हुआ था। आप दिनांक 30-6-1979 को नीतियों से असन्तोप होने पर कार्यकर्ताओं ने 'आजाद सेवानिवृत हुए हैं। मोर्चा' बनाया। श्री जैन उसके कार्यकारिणी सदस्य थे। आपने जिन संस्थाओं में कार्य किया उनमें सामान्य सुधार लाने के लिए अपने-आपको समर्पित कर दिया। 9 दिसम्बर 1942 को मोर्चे की कार्यकारिणी के सभी आपने अपने निजी आदर्श द्वारा बच्चों के चरित्र निर्माण सदस्यों के साथ आप गिरफ्तार कर लिए गये और तथा स्वास्थ्य विकास के लिए एक आदर्श वातावरण भारत सुरक्षा कानून के अन्तर्गत आपको एक वर्ष की बनाया था। 15-11-92 को माननीय दिग्विजय सिंह, सजा हई, परन्त हाईकोर्ट के निर्णयानुसार ) माह बाद अध्यक्ष, म0प्र0 कांग्रेस कमेटी (इ) वर्तमान मुख्यमंत्री ही छोड़ दिया गया। श्री जैन प्रदेश कांग्रेस कमेटी तथा म0प्र0) ने शाल ओढ़ाकर, तिलक लगाकर आपका जिला कांग्रेस की कार्यकारिणी के सदस्य रहे। सम्मान किया था। 1955 में आप राजस्थान वित्त निगम में सचिव के आ0- (1) म0 प्र0 स्व0 सै0, भाग-5, पृ0-175 (2) स्व0 प0 (3) महामहिम राष्ट्रपति जी द्वारा प्रदत्त प्रमाणपत्र एवं पद पर रह। अन्य (4) अनेक प्रमाणपत्र आ)-(1) रा0 स्व) से), पृष्ठ-588 For Private And Personal Use Only
SR No.020788
Book TitleSwatantrata Sangram Me Jain
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain, Jyoti Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2003
Total Pages504
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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