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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 326 स्वतंत्रता संग्राम में जैन विमाता से परेशान होकर एक दिन चुपचाप जेब में गांधी खण्डवा पधारे तो आपके निवास 'नागड़ा विला' कुछ सिक्के रखकर जहाज में बैठकर बम्बई पहुँचे में ही रुके थे। और मजदूरी कर अपना जीवन यापन करने लगे। बम्बई आजादी की लड़ाई में जब सरकार ने सभी को रास नहीं आया तो एक दिन ट्रेन में बैठ गये। गन्तव्य जेलों में ठूसना शुरू किया तो आपके पिता ने बहुत तो कोई था नहीं सो खण्डवा स्टेशन पर उतर गये और समझाया और धमकी दी कि-'यदि तुम गिरफ्तार हए यहीं के होकर रह गये। पहले मजदूरी की फिर फटे तो मैं जेल की दीवार से माथा ठोककर मर जाउंगा।' पुराने बारदाने का काम किया। काम चल निकला, भाग्य पर आजादी के दीवानों को ऐसी धमकियां रोक सकी हैं क्या? ने साथ दिया और कुछ ही दिनों में वे एक प्रतिष्ठित ___ 13 अगस्त 1930 को सरकारी हाईस्कूल पर व्यापारी बन गये। कांग्रेस का ध्वज फहराते हुए आप गिरफ्तार कर लिये पीताम्बर जी के यहाँ पुत्र हुआ जिसका नाम गये और छह माह की कैद तथा 500/- रु0 जुमाना 'रायचंद' रखा गया। रायचंद के नाना केशव जी तेजपार की सजा सनाकर आपको रायपुर जेल भेज दिया गया। पाचोरा के प्रतिष्ठित व्यापारी थे। नाना के घर लगभग जेल जाते हुए आपने कहा था-'कमिश्नर मि0 10 वर्ष बिताकर रायचंद खण्डवा आ गये और यहीं टर्नर को मेरी ओर से बधाई दीजियेगा कि उन्होंने मझे उनकी आगे की शिक्षा-दीक्षा हुई। जिले में पहली गिरफ्तारी का सौभाग्य प्रदान किया।' 1917 में लोकमान्य तिलक खण्डवा पधारे उन्हीं ___31-3--1941 को अंग्रेजी साम्राज्य के विरुद्ध की प्रेरणा से अ0 भा० कांग्रेस कमेटी की स्थापना जनता को भड़काने के अपराध में नागड़ा जी को पुनः खण्डवा में हुई। 1923 में रायचंद जी उसके सक्रिय छह माह की सजा हुई, जिसे आपने नागपुर जेल में सदस्य बने तथा आजीवन खादी पहनने का व्रत लिया, काटा। 1942 के आन्दोलन में वे पुन: गिरफ्तार कर जिसे अन्त तक निभाया। 1929 में क्रान्तिकारी, लिये गये और 1944 में मुक्त हुए। राष्ट्रकवि माखनलाल चतुर्वेदी जिला कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गये तो उन्होंने नागड़ा जी को प्रधानमंत्री नियुक्त प्रसिद्ध साहित्यकार पद्मश्री रामनारायण उपाध्याय किया। 1939 से 1945 तक तथा 1952 से 1957 ने 'सबके अपने भाई रायचंद नागड़ा' नाम से नागड़ा तक नागड़ा जी जिला कांग्रेस के अध्यक्ष रहे। 1929 जी के संस्मरण लिखे हैं। नागड़ा जी के व्यक्तित्व को में म्युनिसिपल कांऊसिल के चनाव में विजयी हए और रेखांकित करने वाले संस्मरणों के कुछ अंश देना यहाँ उपाध्यक्ष नियुक्त हुए। 1956 से 1966 तक आप नगर असमीचीन नहीं होगा। पालिका खण्डवा के सफल व लोकप्रिय अध्यक्ष रहे। वे (नागड़ा जी) नियम से चर्खा कातते, हाथ 1959 में नागडा जी ने खण्डवा गजराती समाज से अपना सब काम करते, जो बोलते उसे पूरा करते की स्थापना की और अन्त तक उसके अध्यक्ष रहे। और जो करते उसका श्रेय कभी नहीं लेते थे। 1954 से 1962 तक आप काटन मर्चेण्ट एसोसिएशन, 1956 से 1972 तक ग्रेन मर्चेन्ट एसोसिएशन, 1963 भाई पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने आजादी की से 1972 तक चेम्बर आफ कॉमर्स के अध्यक्ष रहे। लड़ाई में भाग लेने पर भी अपने आपको कभी विधायक नागड़ा जी राजनीति की काली कोठरी में रहकर या सांसद पद का दावेदार नहीं माना भी सदा शुभ्र चादर के धनी रहे। 1933 में जब महात्मा * * * * For Private And Personal Use Only
SR No.020788
Book TitleSwatantrata Sangram Me Jain
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain, Jyoti Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2003
Total Pages504
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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