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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 324 स्वतंत्रता संग्राम में जैन प्रचार-साहित्य के प्रकाशन एवं प्रसारण का कार्य भी जी ने कभी भी किसी सहायता या सहयोग की न आपके माध्यम से होता था। इन्हीं कार्यवाहियों के याचना की न कामना। यहां तक कि स्वतंत्रता संग्राम कारण आपको गिरफ्तार कर लिया गया और के रूप में स्वीकृत पेन्शन राशि उन्होंने यह कहकर मण्डलेश्वर जेल भेज दिया गया। 2 अक्टूबर को नकार दी कि 'मैं अपने देश के प्रति की गई अपनी गांधी जयन्ती मनाने हेतु जेल के आन्दोलनकारियों ने अकिंचन सेवाओं का मूल्य लेकर अपने भावों को योजना बनाई। जेल अधिकारियों को जब इस योजना मारना नहीं चाहता। मैंने जो कुछ भी किया माँ-सेवा की सूचना मिली तो उन्होंने इसे पोखरना जी की मानकर किया। बालक के लिए तो माँ की सेवा खुराफात मानकर इन्हें खूब यातनाएं दीं। इस पर शेष अनिवार्य दायित्व होता है। उसका मूल्य लेकर मां के आन्दोलनकारी क्रुद्ध हो उठे और 'भारत माता की मातृत्व और दूध का अपमान मैं नहीं करना चाहता।' जय', 'महात्मा गांधी जिंदाबाद' तथा 'अंग्रेजों की इस हेतु दिया जाने वाला ताम्रपत्र भी इन्होंने अपने हाथों दमन नीति मुर्दाबाद' जैसे अनेक नारे लगाते हुए जेल में लेने के बजाए नगरपालिका को भेंट करवा दिया का फाटक तोडकर बाहर आ गये और उन्मक्त जो नगरपालिका की अमल्य निधि के रूप में आज वातावरण में गांधी जयन्ती मनाई गई। भी सुरक्षित है। पोखरना जी की इस कार्यवाही से क्रद्ध होकर पोखरना जी का जीवन-दर्शन रामपुरा वालों तथा जेल अधिकारियों ने उन्हें फिर गिरफ्तार कर लिया सम्पूर्ण देशवासियों के लिए प्रेरणास्रोत है। 27 अगस्त और बदले में उन्हें 12 वर्ष की कठोर सजा दी गई 1980 को आपका स्वर्गवास आपके गृहनगर रामपुरा और पुनः जेल की सीखचों में बंद कर दिया गया। में हो गया। बाद में जेल की अवधि घटा दी गई व उन्हें मुक्त ..... आ0- (I) म0 प्र0 स्व. सै0, भाग-4, पृष्ठ-217 (2) स्वा स म), पृष्ठ-124-125 कर दिया गया। जेल से मुक्त होने के पश्चात् श्री पोखरना अपने शाह श्री रामलाल मास्टर गृहनगर रामपुरा लौट आये। रामपुरा में प्रजामण्डल के स्वदेशी वस्तुओं के कट्टर समर्थक, प्रतापगढ़ पंचम सम्मेलन का सूत्रपात पोखरना जी की ही पहल (राजस्थान) के शाह श्री रामलाल मास्टर ने प्रतिज्ञा की पर हुआ। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् पोखरना जी को थी-'जो भाई कन्या का दहेज लेगा उसके यहाँ जीमने नगरपालिका अध्यक्ष चुना गया। 1952-57 तक नहीं जाऊंगा।' आपने 1930 में प्रतापगढ प्रजामण्डल पोखरना जी विधानसभा सदस्य रहे। जिला मजदूर और तिरंगे झण्डे की स्थापना की थी, इस पर सरकार कांग्रेस के अध्यक्ष एवं जिला कांग्रेस के उपाध्यक्ष पद ने आपको अन्य व्यक्तियों के साथ जेल में लूंस दिया। पर भी आपने पूरी निष्ठा एवं सक्रियता से कार्य किया। आपने 1 माह तक जेल की हवा खाई। सरकार ने पोखरना जी सरल, स्वाभिमानी एवं गाँधीवादी प्रजामण्डल को भी खत्म कर दिया और आदेश विचारधारा से प्रभावित व्यक्तित्व के धनी थे। वे सदा निकाला कि 'जो इस झण्डे को अपनायेगा उसे जेल गरीबों एवं मजदूरों के पक्षधर रहे। उन्हें स्वतंत्रता संग्राम की सैर करनी पड़ेगी।' जब आप जेल से छूटे तब सेनानी के नाते राष्ट्र द्वारा सम्मानित किया गया। आपने यह प्रण किया कि- 'जब तक प्रतापगढ़ में अपनी सामान्य आर्थिक स्थिति एवं पक्षाघात की प्रजामण्डल तथा तिरंगे झण्डे नहीं लगेंगे तब तक बीमारी से असहाय स्थिति के बावजूद भी पोखरना प्रतापगढ़ में कदम नहीं रखूगा।' For Private And Personal Use Only
SR No.020788
Book TitleSwatantrata Sangram Me Jain
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain, Jyoti Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2003
Total Pages504
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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