SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 394
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रथम खण्ड 317 फरार नेताओं के पते पूछे, न बताने पर उन्होंने मेरी श्री राजधर जैन खुब पिटाई की। विजापुर (कर्णाटक) जेल के जेलर शाहपुर, जिला-सागर (म0प्र0) निवासी श्री द्वारा स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के सम्बन्ध में अभद्र राजधर जैन, पुत्र-श्री प्यारे लाल 1921 से ही शब्द का प्रयोग करने के कारण मैं भूख हड़ताल' स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय हो गये थे। 1942 के पर बैठ गया। हड़ताल तोड़ने हेतु काफी प्रलोभन दिये भारत छोड़ो आन्दोलन में आपने 6 माह का कारावास गये, मैं न उठा, अपितु अन्य बन्दी भी मेरे समर्थन । भोगा। आप शाहपुर ग्राम के मंडलेश्वर भी रहे थे। में हड़ताल पर बैठ गये। अन्त में जेलर द्वारा बिना आ)-(1) जै0 स0 रा0 अ0 (2) म0 प्र0 स्व0 सै0, शर्त अपने शब्द वापिस लेने और खेद प्रदर्शन के बाद भाग-2, पृष्ठ-57 भूख हड़ताल समाप्त हुई। फलस्वरूप मेरा स्थानांतरण शीघ्र ही विसापुर (अहमदनगर) जेल में कर दिया भाई राजधरलाल जैन गया।" जाखलोन, जिला-ललितपुर (उ0प्र0) के अमर 30 (1) म0 प्र0 स्व0 सै0, भाग-5, पृष्ठ-23 सेनानी श्री राजधरलाल ने 1932 में कांग्रेस की नींव (2) स्व) प0 (3) अनेक प्रमाण पत्र जाखलोन में डाली और अनेक वर्षों तक उसके मंत्री श्री राजकुमार जैन पद को सुशोभित करते रहे। 1942 के आन्दोलन में फिरोजाबाद (उ0प्र0) के श्री राजकुमार जैन आप बाबू शिवप्रसाद (इनका परिचय इसी ग्रन्थ में पर 1942 के आन्दोलन में अग्रज श्री अन्यत्र देखें) के साथ जेल गये तथा 11 माह झाँसी धनवन्त सिंह के साथ ही पुलिस ने यह अभियोग जेल में रहे। लगाया कि इन्होंने डाक बंगला जलाया है। परन्तु वह आ0- (1) जै) स0 रा0 अ) उसको साबित करने में असमर्थ रही। फिर भी आपको अक्टूबर 1943 तक नजरबन्द रहना पड़ा। आप सेन्ट्रल डॉ० राजमल कासलीवाल जेल आगरा में रहे। 'नेताजी' सुभाषचंद बोस के निजी चिकित्सक आ)- (1) 30 प्र0 0 ध0, पृष्ठ-91 (2) जै0 से0 रहे तथा Whos who in the world में उल्लिखित ना) अ0, पृष्ठ-4 (3) अमृत, पृष्ठ-28 (4) जै0 स0 रा0 अ) एवं देश में चिकित्सा के श्री राजधर जैन उत्कृष्ट पुरस्कार 'बी0 सी0 ग्राम लौंड़ी भड़ोकर (तत्कालीन-विन्ध्य प्रदेश) राय अवार्ड' से सम्मानित के श्री राजधर जैन, पुत्र-श्री दौलत जैन 1937 से ही डॉ0 राजमल कासलीवाल, कांग्रेस के कार्यकर्ता हो गये थे। 1939 के थौना लुहारी पुत्र-श्री मुशी प्यारेलाल झण्डा आन्दोलन के समय अपने गाँव में झण्डा फहराने कासलीवाल का जन्म 20 के कारण 22-2-1939 को आप गिरफ्तार कर लिये नवम्बर 1906 को जयपुर गये। ओरछा अदालत ने 3-3-1939 को तीन माह (राजस्थान) में हुआ। 1929 में लखनऊ विश्वविद्यालय की सजा व 50/-रुपये का अर्थदण्ड दिया फिर भी से एम0बी0बी0एस0 पास करने के बाद आप आप 2-9-1939 को जेल से रिहा हो सके। आपके उच्चशिक्षार्थ इंग्लैंड चले गये जहाँ से 1931 में भाई श्री छक्कीलाल जैन भी आपके साथ जेल में रहे। डी0टी0एम0 एण्ड एच0 तथा 1932 में लंदन से आ)-(1) वि.) स्व0 स0 इ0, पृष्ठ-187 ___ एम0आर0सी0सी0 की उपाधियाँ प्राप्त की। 1935 For Private And Personal Use Only
SR No.020788
Book TitleSwatantrata Sangram Me Jain
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain, Jyoti Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2003
Total Pages504
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy