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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 304 स्वतंत्रता संग्राम में जैन ..1931 में क्रान्तिकारी गतिविधियों में संलग्न होने ने मुझे मरा समझकर थाने में रिपोर्ट की तब एक के कारण पिताजी को नौकरी छोड़कर घर बैठने को अस्पताली कैम्प में मेरी जांच कराई गई। मुझे जीवित मजबूर होना पड़ा। मैं गांवों में बाजार करके घर चलाता, पाकर भरती कर दिया गया। एक सप्ताह अस्पताल साथ में पढ़ाई भी करने लगा। फिर मैं बनारस गया, में रहा किंतु शासन को पता चलने पर मुझे कैम्प से निकलवा मैट्रिक की परीक्षा देने, परन्तु वहां परीक्षा व्यवस्था दिया गया। एक वर्ष तक घर पड़ा इलाज करवाता रहा। अधिकारी ने मुझे बुलाया। नाम-पता पूछा और कहा 1945-46 में कांग्रेस के चुनाव हुए। मैं जिला 'कि पुलिस तुम्हारी तलाश कर रही है,' मैं परीक्षा कांग्रेस का महामंत्री मनोनीत हुआ और लगातार 7 वर्षों अधूरी छोड़कर भाग आया। तक मंत्री रहा। 1949 में अपना संविधान बनकर परा 1932 में जबलपुर में एक राजनैतिक कांग्रेस हुआ, इस बार के कांग्रेस चुनाव बड़े कशमकश में परिषद् हुई, मैं उसमें शामिल हुआ, पकड़ा गया, पर हुए, मैं जबलपुर का अध्यक्ष चुन लिया गया और 26 पुलिस की गाड़ी में बैठते समय भाग गया, पकड़ में जनवरी का गणतंत्र समारोह अभूतपूर्व रूप से मनाया नहीं आया। गया, ऐसा कि आज भी लोग याद करते हैं। 14 अगस्त 1942 को धारा 144 तोड़ते हुए 1955 में कांग्रेस की एक बैठक में, जिसमें देश जुलूस निकला। फुहारे के समीप का डाकखाना तोड़ा के बड़े नेता आमन्त्रित थे, मैंने आजादी के महासागर गया, पैसा लूटा गया, कागज जलाये गये, लाठी चार्ज में जूझने वाले और अपना जीवन सौंप देने वाले देशभक्तों हुआ गोली चली। 14 वर्षीय बालक गुलाब सिंह पटेल विशेषकर जिन्होंने जेल भोगी, यातनाएं सहीं, को शासन शहीद हो गया। रात्रि में पुलिस ने मेरे घर छापा मारा। की ओर से सम्मान व सहायता दिये जाने का प्रस्ताव मैं जानता था कि पुलिस जरूर आयेगी अतः मैं घर किया। मेरे इस प्रस्ताव पर अनेक सदस्यों ने सहमति पर नहीं गया था। पुलिस ने घर छान डाला और वापिस प्रकट की परन्तु एक 'नेताजी' ने विचार व्यक्त करते हो गयी। हुए कहा कि- 'यदि इन सबको शासकीय सहायता मैं 4 माह भूमिगत रहा और अनेक तोड़फोड़ देशसेवा के रूप में दी जायगी तो ये 'सुपर पार्टी के कार्यों में संलग्न रहा। फिर जबलपुर आया, वहां कांप्लेक्स' फील करने लगेंगे, अर्थात् इनमें अहंभावना 4-5 दिन छिपा रहा, परन्तु एक गली में पकड़ लिया जागृत हो जायेगी। गया। कोतवाली में पुलिसिया तरीके से पूछताछ की नेताजी की इस बात ने मेरे मानस को मथ डाला। गई, फिर जेल भेज दिया गया और दो वर्ष बाद जेल मुझे ऐसा लगा कि 'मेरे देश के नेता और नुमाइन्दे से छूटा। जेल के बाहर दरवाजे पर ही नया आदेश ही जब अपने ही लोगों के प्रति ऐसी भावना बना लेंगे शासन का मिला- 'आप जबलपुर म्युनिसपल सीमा तो देशसेवा की भावना ही मर जायेगी और इन के बाहर वगैर अनुमति लिये नहीं जा सकेंगे।' एक जीवनदानी देशभक्तों का क्या होगा ? 'इस विचार मंथन माह घर मैं कैद सा रहा परन्तु शासकीय आदेश तोड़ने ने मेरे मानस को मथ डाला और दूसरे दिन ही मैंने की इच्छा बलवती हो गयी और सागर जिले के बण्डा कांग्रेस के सभी पदों से त्याग पत्र दे दिया और अब ग्राम में एक राजनैतिक सम्मेलन में शामिल होने चल आगे के जीवन में केवल देश के लिये अपनी आहुति दिया। सागर से बस निकल जाने के कारण साइकिल देने वालों, जेल जाने वालों, यातानाएं भोगने वालों की से बण्डा चला। रास्ते में एक्सीडेंट हो गया। राहगीरों सेवा का संकल्प ले लिया। For Private And Personal Use Only
SR No.020788
Book TitleSwatantrata Sangram Me Jain
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain, Jyoti Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2003
Total Pages504
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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