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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 298 स्वतंत्रता संग्राम में जैन श्री मोहनलाल जैन का कारावास भोगा। 42 के आन्दोलन में भी ।)-8-42 'देशप्रेम उम्र पर नहीं भावना पर आधारित होता से 5-4) -44 तक लम्बी अवधि का कारावास आपने है' इस उक्ति को चरितार्थ करने वाले श्री मोहनलाल भोगा। का जन्म 1927 में रीवा आ)- (!) म0प्र0 स्व) सै0, भाग 3, पृष्ट-128 (म0प्र0) में हुआ। आपके श्री मौजीलाल जैन पिता का नाम श्री लक्ष्मी चंद मनेन्द्र गढ़, जिला- सरगुजा (म0प्र0) के जैन था। आपने मैट्रिक तक श्री मौजीलाल जैन, पुत्र-श्री राजधन जैन ने 1930 के शिक्षा प्राप्त की। बचपन से ही श्री जैन राजनैतिक कार्यो में नमक सत्याग्रह में भाग लिया तथा १ दिन का कारावास एवं 3 माह 9 दिन नजरबंद रहने की सजा भोगी। रुचि लेने लगे थे। अंग्रेजी ए ity (I) म0प्र0 स्व0 मै0, भाग 1, Yo ::15 सरकार का तख्ता उलटने के लिए उसकी शासन प्रणाली में व्यवधान डालना हर आंदोलनकारी का उस श्री यादवचंद जैन समय कर्तव्य था। 1942 के देशव्यापी आन्दोलन की श्री यादवचंद जैन, पुत्र-श्री बुद्धि लाल जैन ने गतिविधियों जैसे जुलूस निकालना, झंडा फहराना आदि 1942 में सिवनी (म0प्र0) जिले के ग्राम-पीट में जोखिम भरे कार्यो का नेतृत्व आपने किया। फलस्वरूप आन्दोलन के समय प्रचार सामग्री वितरित की, जलस 19 माह जेल में रहे। में भाग लिया और पिकेटिंग की। फलत: आप गिरफ्तार स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद आप शासकीय सेवा में कर लिये गये और 6 माह का कारावास आपने भोगा। ग्राम सेवक के रूप में रहे। सेवानिवृत होने के पश्चात् आ) (1) 10 प्र) स्व) सै), 'पाग 1, 2 152 आप धार्मिक एवं सामाजिक कार्यों में संलग्न रहे। रीवां में 1993 में विशाल इन्द्रध्वज विधान आपने ही कराया श्री रंगलाल जैन (बोकाड़िया) था। स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों से सम्बन्धित सारी सुविध मन्दसौर (म0प्र0) के श्री रंगलाल जैन यें आपको प्राप्त हो रही हैं। (बोकाड़िया), पुत्र- श्री चौथमल का जन्म 20 नवम्बर आ0- (1) म0 प्र0 स्व० सै0, भाग-5, पृ0-220 1902 को मंदसौर में हुआ। आप 1932 से ही स्वतंत्रता (2) डा0 नन्दलाल जैन, रीवां द्वारा प्रेषित परिचय (3) वि0 स्व० संग्राम में सक्रिय हो गये थे, 1942 के भारत छोड़ो स0 50, पृ0--413 आन्दोलन में भाग लेने पर । माह का कारावास आपको भोगना पड़ा। श्री मोहनलाल बाकलीवाल आ) () 0 प्र0 स्व00, भाग 1,3017 दुर्ग (म0 प्र0) के श्री मोहनलाल बाकलीबाल का जन्म 4-11-1901 को हुआ। आपके पिता का श्री रघुवर दयाल जैन नाम श्री प्रेमसुख बाकलीवाल था। राष्ट्रीय भावनाओं श्री रघुवर दयाल जैन, पुत्र-श्री राम दयाल जैन से ओत-प्रोत होने के कारण आप बचपन से ही राष्ट्रीय का जन्म 28-10-1889 को मउ (इन्दौर) में हुआ। आन्दोलन से जुड़ गये। सर्वप्रथम 1932 के आन्दोलन आपने 19।। में इन्दौर से एम0ए0 व 1913 में में आप 16-2-32 से 14-4-32 तक जेल में रहे। इलाहाबाट annonीधा जी की और 26-12-40 को आप पुन: गिरफ्तार हुए और 6 माह मिशन कॉलेज में प्राध्यापक रहे किन्त श्री अर्जन लाल For Private And Personal Use Only
SR No.020788
Book TitleSwatantrata Sangram Me Jain
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain, Jyoti Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2003
Total Pages504
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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