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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 290 स्वतंत्रता संग्राम में जैन में अपने एक सस्मरण में आपने श्री तपन मुखर्जी को मैंने तथा मेरे साथियों ने डायनामाइट लगाकर उस हवाई बताया था कि- "1939 में मैंने साईंस कालेज नागपुर जहाज को उड़ा दिया। घटना नवम्बर 42 के आसपास से इंटरमीडियट किया था। तीन साल वहां रहा। की है। गांधी जी का सेवा ग्राम वर्धा पास ही था। गांधी जी इस कांड की जांच कई महीनों तक चलती रही। का और अन्य नेताओं का नागपुर आना-जाना लगा हमारे साथी एक के बाद एक पकड़े गये। मैं अंतिम रहता था। मैं सभाओं में जाया करता था। मेरी रुचि वर्ष की परीक्षा देकर जबलपुर आ गया। मुझे जुलाई शुरू से ही आजादी की लड़ाई में थी। 1939 में त्रिपुरी 43 में बनारस कलेक्टर के वारंट पर जबलपुर में कांग्रेस का अधिवेशन जबलपुर में हुआ। इसका मेरे गिरफ्तार किया गया तथा जबलपुर सेंट्रल जेल में एक किशोर मन पर काफी प्रभाव पड़ा। फिर मैं बनारस माह रखने के बाद बनारस जिला जेल भेज दिया गया। में इंजीनियरिंग का अध्ययन करने चला गया। 1942 जहां से मुझे बनारस के सेंट्रल जेल स्थानान्तरित किया में मैं प्रशिक्षण के सिलसिले में गन कैरज फैक्ट्री से गया। जनवरी 45 में जब गांधी जी का ब्रिटिश सरकार संबद्ध हुआ। तब जबलपुर में रहा। हम फुहारे में रहते के साथ समझौता हुआ तब हमें छोड़ा गया। रिहा होने थे जो उन दिनों स्वतंत्रता आंदोलन की गतिविधियों के बाद मैं जबलपुर वापस आ गया।' का केन्द्र था। 14 अगस्त 1942 को मेरे घर के पास आजादी के बाद आप प्रदेश की राजनीति में घमंडी चौराहे पर ठाकुर गुलाब सिंह की शहादत हुई। सक्रिय रहे! गांधीवादी विचारधारा होने के कारण उन्हीं दिनों फुहारे और आसपास के क्षेत्र में अंग्रेज आप श्री जयप्रकाश नारायण के आह्वान पर प्रजा सैनिकों की टुकड़ियाँ तैनात कर दी गई थीं। उन्होंने सोशलिस्ट पार्टी के सदस्य बने। आप नगर निगम की जो अत्याचार ढाये उन्हें भी मैंने नजदीक से देखा था। स्थायी समिति के अध्यक्ष, महापौर, म0प्र0 लघु इसी बीच श्री सीताराम जाधव और श्री सत्येन्द्र प्रसाद उद्योग संघ के संस्थापक-अध्यक्ष (आजीवन), मिश्र, जो कि भूमिगत रहकर नगर में आंदोलन चला जबलपर नगर स्वतंत्रता संग्राम सैनिक संघ के अध्यक्ष रहे थे, उनसे भी मेरा सम्पर्क बना।' आदि अनेक पदों पर रहे। आपने बताया था कि-'इन्हीं सब बातों से प्रेरणा आ0- (1) म0प्र0 स्व0 सै), भाग-1, पृष्ठ-92 (2) लेकर जब मैं अक्टूबर 42 में बनारस इंजीनियरिंग म0 स0, पृष्ठ ब-24 (3) स्वा) स॥ ज), पृष्ठ-150 (4) गजरथ कॉलेज वापस लौटा तब मेरे भीतर यह इच्छा बलवती महोत्सव स्मारिका, 1993, पृष्ठ-4। हो गई थी कि मैं गांधी जी के भारत छोड़ो आन्दोलन श्री मुलायमचंद जैन में किसी न किसी रूप में सक्रिय भाग लूं। मेरा श्री मुलायमचंद जैन का जन्म 1921 में टड़ा इंजीनियरिंग का फाइनल इयर था। फिर भी मैं (सागर) म0प्र0 में हुआ। आपके पिता का नाम श्री विश्वविद्यालय में भूमिगत रहकर तोड़फोड़ करने वाले नन्हाईलाल जैन था। देश को छात्रों के दल में शामिल हो गया। दल के साथ मैंने स्वतंत्रता दिलाने के लिये रेलवे यार्ड में इंजिनों के तोड़फोड़ का प्रशिक्षण प्राप्त 1942 में आप कांग्रेस किया। के सदस्य बने और देशव्यापी इसी बीच सरकार की ओर से कॉलेज में आंदोलन में भाग लिया। एरोनाटिक्स (हवाई जहाज इंजीनियरिंग) का प्रशिक्षण जुलूस में तोड़फोड की देने के लिए एक हवाई जहाज रखा गया। एक रात कार्यवाही करने से For Private And Personal Use Only
SR No.020788
Book TitleSwatantrata Sangram Me Jain
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain, Jyoti Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2003
Total Pages504
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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