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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रथम खण्ड 273 बाद में वित्त एवं समाजसेवा मंत्री बने। उन दिनों एक साक्षात्कार में आपने 1942 के आन्दोलन तथा आप पूरे भारत में सबसे छोटी उम्र के मंत्री थे। अपनी जेलयात्रा के सन्दर्भ में बताया था किआपने छतरपुर से साप्ताहिक 'विन्ध्याचल' पत्र निकाला। 'दिनांक 9 अगस्त 1942 को कांग्रेस के बम्बई आपने ही बुन्देलखण्ड की पंचवर्षीय योजना बनाई अधिवेशन में 'भारत छोड़ो आन्दोलन' का प्रस्ताव थी व खजुराहो के विकास में भारी योगदान दिया। पास किया गया। उसी दिन अंग्रेजी सरकार ने कांग्रेस विन्ध्य प्रदेश जब मध्यप्रदेश बना तो उसमें आप के सभी बड़े नेताओं को बन्दी बना लिया। इसकी सहयोगी रहे। 1967 एवं 72 में पुन: म0प्र0 विधानसभा खबर सारे देश में बिजली की तरह फैल गई। उन के सदस्य निर्वाचित हुए। कई देशों का दौरा किया दिनों मैं इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में एल0एल0बी0 और म0प्र) की अनेक कमेटियों, बोर्डो, संघों के प्रीवियस का विद्यार्थी था और जैन होस्टल में रहता अध्यक्ष/मंत्री रहे। म0प्र0 स्वतंत्रता संग्राम सैनिक संघ था। मेरी माँ और मेरा अनुज सुरेन्द्र कुमार भी इलाहाबाद के भी आप मंत्री रहे। में रहते थे। नेताओं के जेल में बन्द हो जाने पर आचार्य रजनीश के दर्शन से भी आप कुछ जनता ने आन्दोलन अपने हाथ में ले लिया। गांधी दिनों प्रभावित रहे। रजनीश के साथ अनेक शहरों जी का आदेश था ही 'डू एण्ड डाई'। इलाहाबाद के की यात्रायें आपने की, शिविरों का संचालन किया छात्रों ने भी आन्दोलन बढ़ाने का निश्चय किया। और उनकी प्रारम्भिक पुस्तक 'पथ के प्रदीप' का दिनांक 12 अगस्त 1942 को विश्वविद्यालय प्रकाशन तथा मासिक पत्रिका 'सम्बोधि' का सम्पादन प्रांगण में छात्रों की सभा हुई, जिसमें निश्चय किया भी किया। गया कि छात्रों के दो दल बनाये जायेंगे। एक दल आपने मारीशस के द्वितीय हिन्दी विश्व सम्मेलन चौक जाकर टावर पर तिरंगा झंडा फहराएगा और में भाग लिया था। नेपाल आदि अनेक देशों की यात्रा दूसरा दल जिला कचहरी जाकर कचहरी की इमारत की थी, पृथक् बुन्देलखण्ड राज्य के निर्माण के लिए पर तिरंगा झंडा फहराएगा। चौक पर जाने वाले छात्रों आप संघर्षरत रहे। 1952 से ही ‘पंचायत राज' मासिक के दल में मैं था और जिला कचहरी जाने वाले दल का सम्पादन/प्रकाशन कर रहे हैं। आपकी कृतियों में में मेरा अनुज सुरेन्द्र कुमार। दोनों दल नारे लगाते, 'मुझे मनुष्य की गन्ध आती है' (कविता संग्रह), गीत गाते, तोड़-फोड़ करते अपने पथ पर अग्रसर 'कलातीर्थ खजुराहो' आदि प्रमुख हैं। अनेक लेख, हुए। कचहरी जाने वाले दल में मेरे भाई के अलावा कविताये, कहानियाँ. यात्रावर्णन भी विविध छतरपुर के श्री जंगबहादुर सिंह भी थे। माधवगढ के पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं। हाल ही में लाल पद्मधार सिंह ने कचहरी की इमारत पर चढ़कर आपके अभिनन्दन ग्रन्थ का प्रथम खण्ड 'THE GLORY तिरंगा फहरा दिया। वे गोली के शिकार हए और THAT WAS BUNDELKHAND' के नाम से प्रकाशित शहीद हो गए। छात्रों की भीड़ को तितर-बितर करने हुआ है जो लगभग 6500 पृष्ठ का है। जैन समाज के के लिए घोड़े दौड़ाए गए और लाठी चार्ज किया कार्यक्रमों में भी आप समय-समय पर भाग लेते रहे गया। हैं। विशेषत: जैन विद्वानों की संस्थाओं से आप जुडे विश्वविद्यालय और शिक्षण संस्थायें बंद कर रहे हैं। विद्वत्सम्मेलनों के अवसर पर हमें अनेकों दी गईं। होस्टल खाली कराने के आदेश हो गए। बार 'मानव' जी के दर्शनों का सौभाग्य मिला है। शहर में मुर्दनी छा गई, 'शूट एट साइट' का आर्डर For Private And Personal Use Only
SR No.020788
Book TitleSwatantrata Sangram Me Jain
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain, Jyoti Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2003
Total Pages504
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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