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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org 272 स्वीकार कर ली। सभी कार्यकर्ताओं को, जो करीब 400 थे, छोड़ दिया गया। आजादी के बाद मैंने राजनीति छोड़ दी और पुलिस में भर्ती हो गया, जहाँ से 24 फरवरी 1982 को सेवामुक्त हुआ हूँ।' अपने पुलिस जीवन के संस्मरण बताते हुए आपने कहा कि 'मैं पुलिस में उपनिरीक्षक के पद पर नियुक्त हुआ था। 1971 में एस एच ओ (O) ब्यावरा सिटी था। उस समय अफीम का अन्तरदेशीय नाजायज व्यापार करने वाले गिरोह को पकड़ा जिसके कब्जे से 319 किलो अफीम पकड़कर मैंने अपना विश्व रिकार्ड बनाया जो अभी तक कायम है'। आपने अपने जीवन में लगभग 250 प्रमाणपत्र व अवार्ड प्राप्त किये। धार्मिक भावना सम्पन्न श्री जैन ने लगभग सभी जैन तीर्थों के दर्शन किये हैं आपने 'पं) दौलतराम व्यक्तित्व व कृतित्व' तथा 'जैनधर्म द्रव्य - अवस्था' आदि पुस्तकें भी लिखी हैं। आ)- (1) प) ड), पृष्ठ-136 (2) जै० स० बृ० इ०, पृष्ठ 372 ( 3 ) स्व() प( ) (4) सा), तिजारा, 1 नव) 1998 श्री महावीरप्रसाद जैन फिरोजाबाद (उ0प्र0) के श्री महावीरप्रसाद जैन 1930 में कांग्रेस के सक्रिय कार्यकर्ता थे। नमक सत्याग्रह, शराब बन्दी, विदेशी वस्त्र बहिष्कार आदि आन्दोलनों में आपने खुलकर भाग लिया था । 26 जनवरी 1932 को जुलूस निकालते समय अनेक महिलाओं को पुलिस ने गिरफ्तार किया और जुलूस पर डण्डे बरसाये। उसके विरोध में शाम की होने वाली सभा का ऐलान करते हुए आपको गिरफ्तार कर लिया गया और 3 माह की कैद व 100 रु० जुर्माना की सजा दी गई, जुर्माना न देने पर घर सारे सामान की कुर्की की गई थी। आ)- (1) जै) से० ना० अ), पृष्ठ- 04 (2) अमृत, पृष्ठ 25 Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir स्वतंत्रता संग्राम में जैन श्री महेन्द्रकुमार मानव मध्य प्रदेश के प्रख्यात राजनेता, कुशल पत्रकार, सजग साहित्यकार, सहृदय समाज सेवी और राष्ट्रीय आन्दोलन के कर्मठ सिपहसालार श्री महेन्द्रकुमार मानव, पुत्र- श्री ब्रजलाल जैन का जन्म मध्य प्रदेश के छतरपुर में फाल्गुन शुक्ल 13 संवत् 1977 (1921 ई0 ) को हुआ। अल्पवय में ही पिता का साया उठ गया एवं 9 वर्ष बाद 1930 में विवाहिता बहिन व सबसे छोटे भाई की मृत्यु भी इन्हें अपने पथ से डिगा नहीं सकी। अपितु उसने भी इन्हें कर्मठता ही प्रदान की। संस्कृत पाठशाला के बाद महाराजा हाईस्कूल से हाईस्कूल की परीक्षा पास की जिसमें सर्वोच्च स्थान मिला। 1939 में छतरपुर में नवयुग पुस्तकालय की स्थापना इनका साहसिक कदम था। 1942 के भारत छोड़ो आन्दोलन में 'मानव' जी ने हिस्सा लिया और दस माह होशंगाबाद व जबलपुर की जेलों में बंद रहे। 'मानव' जी ने संस्कृत विषय में एम० ए० की परीक्षा प्रयाग वि) वि) से पासकर भारतीय विद्याभवन में रिसर्च फैलो और बाद में बम्बई के ही सिडनहम कालेज में अध्यापन का कार्य किया। 1949 में वे रीवा में संस्कृत के व्याख्याता बने। इसी बीच 'विन्ध्य प्रादेशिक हिन्दी साहित्य सम्मेलन' की स्थापना की और ठक्कर वापा तथा प्रसिद्ध साहित्यकार श्री वियोगी हरि के साथ सम्पूर्ण बुन्देलखण्ड का दौरा किया। एल) एल) बी) की परीक्षा भी आपने पास की थी। For Private And Personal Use Only देश की स्वाधीनता के बाद आप सर्वप्रथम छतरपुर नगर पालिका के सदस्य चुने गये। 1952 में लौंड (छतरपुर) से विन्ध्य प्रदेश विधानसभा के सदस्य चुने गये और विन्ध्य प्रदेश के पहले शिक्षा व
SR No.020788
Book TitleSwatantrata Sangram Me Jain
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain, Jyoti Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2003
Total Pages504
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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