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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 246 स्वतंत्रता संग्राम में जैन बिना अनुमति के सभा करना मना था। अनुमति नहीं दल के मुख्य सचेतक के रूप में कार्य किया। 60 मिली, फिर भी हजारों की संख्या में लोग गांधी जी सालों तक सफलतापूर्वक वकालत करने पर बार को सुनने व देखने आये हुये थे। पुलिस ने चारों ओर एसोसिएशन गरोठ ने आपका अभिनन्दन कर मानपत्र घेरा डाल रखा था। चौधरी जी भी उसी घेरे में घिरे भेंट किया था। थे। गांधी जी ठीक समय पर सभामंच पर आ गये। सार्वजनिक कार्यों में भी आप सदैव अग्रणी रहे। चौधरी जी पर उनके व्यक्तित्व का बहुत प्रभाव पड़ा। आपने जिला प्रौढ़ शिक्षा समिति के अध्यक्ष के रूप गांधी जी का भाषण सुनकर सभा में उपस्थित लोगों में प्रौढ शिक्षा का सफल संचालन किया। आपने गरोठ में भी जोश भर गया। ‘महात्मा गांधी जिन्दाबाद' के में प्राइवेट हाई स्कूल कमेटी बनाई, उसके अध्यक्ष के नारों से सभा क्षेत्र गूंज उठा। सभा-क्षेत्र में विदेशी कपड़ों रूप में आठ सालों तक इसका कुशलता पूर्वक संचालन की होली जलाई गई और खादी पहनने की शपथ ली किया और बाद में उसे शासकीय घोषित करवाया। गई। श्री चौधरी ने भी खादी पहनने का संकल्प लिया अनेक गरीब विद्यार्थी इससे लाभान्वित हुए! आप कई जिसे उन्होंने अंतिम समय तक निभाया। सालों तक नगरपालिका परिषद् गरोठ के अध्यक्ष रहे। ... गरोठ में प्रजामंडल की स्थापना होने पर चौधरी आप मृत्युपर्यन्त बार एसोसिएशन गरोठ के अध्यक्ष रहे। जी उसके अध्यक्ष बने। श्री चौधरी प्रजामंडल की 1988 में आपका देहावसान हो गया। केन्द्रीय समिति के सदस्य भी रहे। इन्होंने सारे गरोठ आ)-(1) स्व) स) म), पृष्ठ 67-69 (2) श्री पी0सी0 जिले में घूमकर प्रचार-प्रसार किया तथा प्रजामण्डल चौधरी, एडवोकेट द्वारा प्रेषित परिचय। का काम सुचारू रूप से चलाते रहे। श्री बाबु भाई आंदोलनकारियों पर चलाये जाने वाले मुकदमों इन्दौर (म0प्र0) निवासी श्री बाबू भाई, पुत्र-श्री में श्री चौधरी नि:शुल्क पैरवी करते थे। उनकी संगठन ईश्वर भाई का जन्म 1911 में हुआ। प्राथमिक शिक्षा क्षमता बड़ी विलक्षण थी जिसे देखकर राष्ट्रीय नेता दांतों ग्रहण कर आपने 1930 में राष्ट्रीय आंदोलन में भाग तलं उंगली दबा लेते थे। श्री चौधरी एक कुशल लिया और एक माह सोलह दिन का कारावास भोगा। प्रशासक भी थे, अधिकारी उनसे भय खाते थे। वे इन्दौर के सर्राफा बाजार में आपकी जैन कैमिस्ट नाम अपने सिद्धान्तों पर हमेशा अडिग रहे। से दुकान रही है। 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में उन्हें शामिल __ आ0-(1) म0 प्र0 स्व० सै0, भाग-4, पृष्ठ-31 नहीं होने दिया गया। उन्होंने गरोठ में प्रदर्शन किया। सारे प्रमुख आंदोलनकारी गिरफ्तार हो चुके थे किन्त श्री बाबुराम जैन चौधरी जी को भूमिगत होने के लिये विवश कर दिया श्री बाबूराम जैन, पुत्र-श्री बिहारी लाल जैन का गया। कहा गया कि –'आप अन्दर रहेंगे तो आंदोलन जन्म 1918 में पथरिया, जिला-दमोह (म0प्र0) में समाप्त हो जायेगा', अत: उन्हें भूमिगत होना पड़ा। हुआ। आपने प्राथमिक तक शिक्षा ग्रहण की। आप उन्होंने अपने गिरफ्तार साथियों के परिवारों की रसगुल्ला बेचने का काम करते थे। साथ में आपके बड़े सहायतार्थ जिले का सघन दौरा करके पर्याप्त धन इकट्ठा भाई श्री राजाराम उर्फ राजेन्द्र कुमार जी भी रहते थे। किया। स्वयं ने भी पर्याप्त धन दिया व सारा धन समान जंगल सत्याग्रह में आपने भाग लिया था और 42 के रूप से साथियों के परिवारों में बंटवा दिया। भारत छोड़ो आन्दोलन में 2 माह 8 दिन का कारावास स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् 1952 से 1957 तक भोगा था। राजाराम जी को भी 2 वर्ष 4 माह का आप गरोठ के विधायक रहे और विधान सभा में कांग्रेस कारावास हुआ था। For Private And Personal Use Only
SR No.020788
Book TitleSwatantrata Sangram Me Jain
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain, Jyoti Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2003
Total Pages504
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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