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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 234 स्वतंत्रता संग्राम में जैन जब दो दिन मुंह से लगातार खून आया तब समझौता संतोषस्वभावी भदौराजी एक योगाभ्यास केन्द्र हुआ। मैं 1943 से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का चलाते हैं। सम्प्रति आप टीकमगढ़ में एक वृहद् योग सदस्य हूँ और उसके साथ आज भी हूँ। हरिजन केन्द्र की स्थापना के उपक्रम में लगे हुए हैं। हड़ताल के समय 7 फरवरी 1947 को ओरछा राज्य आ)- (1) वि) स्व0 सा) इ.), पृष्ट 90.124. 183, कम्युनिस्ट पार्टी गैर कानूनी करार कर दी गई और 14 (2) दैनिक भास्कर, भोपाल ।5 9 1972 (3) स्वा) पा) मैं अन्य साथियों के साथ जेल में नजरबंद कर दिया श्री फलचंद वमोरहा गया। परन्तु जन आंदोलन व हरिजनों की बहादुरी के ___ वमो रहा' उपनाम से प्रसिद्ध गोटेगांव, कारण ।। फरवरी 47 को हम लोग जेल से रिहा जिला नरसिंहपुर (म.प्र)) के श्री फूलंचद वमोरहा हुये। 19-46 47 में हुये साम्प्रदायिक दंगों की हवा पुत्र- श्री डालचंद का जन्म टीकमगढ़ में आई परन्तु मैंने अन्य साथियों के साथ 11912 में हुआ। आप त्रिपुरी मिलकर जिले में जो शांति स्थापित की वह आज कांगेस अधिवेशन में तक कायम है। 1946 में विद्यार्थियों की हड़ताल स्वयंसेवक बनकर गये थे। करान म सक्रिय तौर पर भाग लेने पर जेल में भेजा 1940 के व्यक्तिगत सत्याग्रह गया और ) दिन हवालात में रहने के बाद टंद में आपने दो बार जेल यात्रा मा, की सजा व 50 - रुपया जमाना तथा जुर्माना न | की। आप गोटेगांव से झांसी - + माह की सजा और काटी।' तक अनेक आन्दोलनकारियों (जिनमें अधिकांश जैन दोग जी कम्युनिस्ट आदालन से जुड़े थं) के साथ पैदल गये थे। झांसी में आप गिरफ्तार रह है और इस कारण आजादी के बाद भी उन्हें कई हए थे। आपने सागर होशंगाबाद. झांसी एवं जबलपुर बाः जेल जाना पडा। 1972 में दिल्ली म ताम्रपत्र जेलों में मजायें परी की थीं। लेने आने पर आपने तत्कालीन प्रधानमंत्री आ।- ( म0प्र0 स्व) से०, भाग । पृष्ठ 140 (2) श्रीमती इन्दिरा गांधी से बन्देलखण्ड प्रान्त क मदभ में आंकड़े प्रस्तुत करते हुए पृथक् बुंदलखण्ड राज्य की मांग की थी। आपनं महामहिम राष्ट्रपति व्ही) पं० फूलचंद सिद्धान्ताचार्य व्ही। गिरि से टीकमगढ़ के अमर शहीद कामरेड 20वीं शताब्दी के दिगम्बर जैन विद्वानों में नारायणदास खर का स्मारक बनाने हत् भी निवेदन अग्रगण्य श्रद्धेय पर) फूलचंद सिद्धान्ताचार्य का जन्म किया था। ।। अप्रैल 190। का टीकमगढ़ की लगभग दो दर्जन संस्थाओं से ग्राम-सिलावन, जिला - जुड़े भदौरा जी योग और प्राकृतिक चिकित्सा में ललितपुर (उ0प्र0) में गहन आस्था रखते हैं। वे कहते है... 'विगत 59 वर्ष हुआ। आपके पिता का नाम सं मैंने किसी दवा का प्रयोग नहीं किया है। प्राकृतिक श्री सिंघई दरयाव लाल था। चिकित्गा और योग की क्रियाओं द्वारा स्वस्थ हूँ।' आर्थिक रूप से कठिन टीकमगढ़ नगर में एक प्राकृतिक चिकित्सालय परिस्थितियों में जीवन की । वपी तक आपने चलाया और अब उसे नगरपालिका विषमताआ को झेलत हुए पूज्य पं) जी ने जैन दर्शन को सौंप दिया है। रूपी आत्मज्ञान को जिन ऊँचाईयों को प्राप्त किया, For Private And Personal Use Only
SR No.020788
Book TitleSwatantrata Sangram Me Jain
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain, Jyoti Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2003
Total Pages504
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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