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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 230 स्वतंत्रता संग्राम में जैन श्री लोहिया ने हैदराबाद आपने आजादी की लड़ाई के दौरान जबकि इस में 1922 में महात्मा गांधी के अंचल में कोई अखबार नहीं था. अंग्रेजों के खिलाफ आशीर्वाद से चलाये जा रहे नियमित साइक्लोस्टाइल पर्चे बांटे जिनमें अंग्रजों की सत्याग्रह में पूर्ण रूप से खिलाफत होती थी। सहयोग दिया था। 1928 में लोहिया जी भदावर प्रांतिक जैन सभा व दिगम्बर महात्मा गांधी पड़ोसी जिला जैन वीर सेवा मंडल के अध्यक्ष, सहकारी बैंक के इटावा में आमसभा करने आये संचालक, नगरपालिका पार्पद तथा कांग्रेस कमेटी के ता श्री गोयल हरिकिशन जाधव के साथ वहां गए। कार्यकारी अध्यक्ष भी रहे। 13-3-1996 को लोहिया ____ यह लोहिया जी के राजनैतिक जीवन का भी जी का देहावसान हो गया। शैशवकाल था। राजनीति की विधिवत् दीक्षा 1936 आy (1) स्वापy ( 2 ) पुत्र आनन्द गोयल द्वारा प्रपित में गोपीकृष्ण विजयवर्गीय ने भिण्ड आकर दी। उन्होंने परिचय (३) पंशन आदि के अनेक प्रमाणपत्र पहले श्री जैन को 'गांधीधर्म' में दीक्षित किया तदुपरान्त श्री फूलचंद जैन उन्हें ग्वालियर राज्य सार्वजनिक सभा का सदस्य बना दिया गया। यह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का ही एक 21 मार्च 1911 को ग्राम बारिया, तहसील पाटन, संगठन था। सभा के सम्मेलन ग्वालियर, शिवपुरी, जिला-जबलपुर (मप्र)) के श्री कस्तूरचंद जैन के बालाजी. मिहाना एवं भिण्ड में आयोजित किए गए। घर एक फूल खिला वाद में उसका नाम ही 'फूलचंद' इन डॉ) पट्टाभिसीतारमैया, कृष्णदत्त पालीवाल, पड़ गया। फूलचंद ने अपने नाम को फूल सा ही विद्यावती राठोर. आचार्य नरेन्द्र देव, बृजलाल वियाणी - महकाया । फूलचंद जी ने राष्ट्रीय जागरण काल के प्रारम्भ से ही आजादी के लिए साधना करते हए त्याग व महादेव देसाई मुख्य अतिथि के रूप में पधारे थे का मार्ग अपनाया। और फलचंद लोहिया इन सबमें मौजूद रहे। श्री जैन ग्राम की प्राथमिक शाला से उत्तीर्ण होकर 1942 में महात्मागांधी ने 'करो या मरो' के साथ । हितकारिणी विद्यालय जबलपुर में प्रविष्ट हुए। अध्ययन 'अंग्रजा भारत छोड़ो' का नारा दिया। लोहिया जी के के दौरान ही स्वतंत्रता संग्राम के नेता सेठ गोविन्ददास लघुभ्राता संपतराम लोहिया, रघुवीर सिंह कुशवाह व एवं पा) द्वारकाप्रसाद मिश्र के सम्पर्क में आये। 1930 सृवालान मिहाना न रेल पटरियां उखाड़कर असहयोग की 6 अप्रैल को जबलपुर के इतिहास में देशभक्तों आन्दालन में जान फ़को। फुलचंद जी न इन तीनों की का जो अभतपूर्व जुलूस गनी दुर्गावती की समाधि और स लम्ब समय तक काननो लड़ाई लड़ो आर बारहा) पर गया ओर जिसमें भारत को स्वतंत्रता क कासी के फन्द से बचाया। 1912 में आपन शराब मिलो प्रतिज्ञा की गयी उसमें श्री फलचद भा सम्मिलित बन्दी का लेकर धरना दिया। या इसके उपरान्त आपन जगल सत्याग्रह म भाग लिया न्वटेश्वरी दयाल शमा तथा आपका पलिस न और 5 माह का कारावास पाया। कन्द्रय कारागार पकड़ लिया। पुलिसिया उत्पीड़न से लोहिया जो की जबलपुर में दिनांक 30-8-193) R!-2-193/ हालत खराब हो गई। एस0पी0पुन सिंह ने लोहिया जी तक कैद में रहे। 'रणभेरी'. 'रानी झांसी', 'गजगरु का रिहा ता कर दिया लेकिन घर में ही नजरबंद कर मखदेव भगतसिंह' जैसे कांतिकारी साहित्य का दिया। प्रचारित करना आपका कार्य हो गया। For Private And Personal Use Only
SR No.020788
Book TitleSwatantrata Sangram Me Jain
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain, Jyoti Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2003
Total Pages504
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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