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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रथम खण्ड 229 सफाई व अन्य छोटे-बड़े बुनियादी कामों में ड्यूटी 1942 में गांधीजी ने करो या मरो का नारा देकर लगाई जाती थी। श्रीमती फूलकुँवर चोरड़िया वर्धा में भारत छोड़ो आंदोलन चलाया तो फूलकुँवरजी इन्दौर गाँधीजी के सान्निध्य में बीते समय को अपने जीवन में सड़कों पर उतर आईं। कई जलसों में भाग लिया, की सर्वोत्तम उपलब्धि मानती हैं। यहीं से आपने अंग्रेजों ने आपको जेल में बंद कर दिया, वहां पर भी रचनात्मक कार्यों में अपना झकाव व्यक्त किया। आपने विरोध किया। जेल में आपको प्रसिद्ध गाँधीवादी नेता कन्हेंयालाल खादीवाला, बैजनाथ महोदय, हरिभाऊ ज्ञातव्य है फूलकुँवर चोरड़िया का पूरा परिवार उपाध्याय, रुक्मणी देवी, भागीरथी देवी आदि का देश के लिए समर्पित था। नथमल जी तो महान् स्वतंत्रता सान्निध्य प्राप्त रहा था। ज्ञात रहे फूलकुँवरजी को सेठ सेनानी थे ही किन्तु उनके पुत्र केशरीमल चोरड़िया, जमनालाल बजाज का विशेष स्नेह प्राप्त था, नीमच शोभागसिंह चोरडिया ने भी स्वतंत्रता आंदोलन में आकर बगैर लाभ-लोभ या पद-लिप्सा के फूलकँवरजी बढ़ चढ़कर भाग लिया। इनके श्वसुर नथमल जी इनके ने कांग्रेस के लिए कार्य करते हुए स्व0 सीतारामजी पति माधवसिंह की मृत्यु पर भी माफी माँग कर जेल जाजू व रघुनंदन प्रसाद वर्मा के चुनाव में सक्रिय भूमिका से नहीं आए। इन सभी घटनाओं का फूलकुँवर पर निभाई। जैन समाज आपकी अमल्य सेवाओं का ऋणी गहरा प्रभाव पड़ा। फलत: स्वतंत्रता की भावना विकसित है। स्थानकवासी जैन महिला संघ की आप अध्यक्षा होने का अवसर वर्धा में इन्हें मिला। वर्धा से लौटकर रहीं साथ ही महिला मंडल की कोषाध्यक्ष का पदभार आपने नीमच से 8 किमी दूर डूंगलावद गांव में अपने वहन किया। श्वसुर नथमल जी की इच्छानुसार जैन कन्या आश्रम नीमच में भी फलकँवरजी ने रचनात्मक कार्य खोला, यह कुछ समय तक चला पर नथमल जी की किए. श्रीमती चोरडिया सादा जीवन उच्च विचार मं मृत्यु के उपरांत इसे बंद करना पड़ा। एक के बाद आस्था रखती हैं। युवाओं के प्रति उनका संदेश था एक परिजनों की मृत्यु ने अपको गहरा आघात पहुँचाया कि 'वे बगैर किसी लाभ-लोभ के देश की सेवा करें।' पर इस साहसी महिला ने हार नहीं मानी। बापू का बुनियादी प्रशिक्षण ही उनकी नजर में एकमात्र ध्येय इनके सामने था। श्री नथमल चोरडिया के बेरोजगारी का समाधान था। लड़कियों की फैशनपरस्ती देहावसान के बाद आप इन्दौर चली गईं वहाँ से आपने की वे विरोधी थीं। इलाहाबाद से प्रथमा को परीक्षा उत्तीर्ण करके इन्दौर आ)- (1) म) प्र) स्व) सौ), भाग-4, पृष्ठ 216 (2) स्वा) में महिला कला मंडल' की स्थापना की साथ ही बाल सा म0, पृष्ठ 97 (3) नवभारत, इन्दौर, 18.) 1997 मंदिर, सिलाई, कढ़ाई, बुनाई की कक्षाएँ प्रारंभ की, श्री फूलचंद (गोयल) अग्रवाल जैन इन कार्यों के संचालन में आपको पग-पग पर कठिनाईयों भिण्ड (म0प्र0) के श्री फलचंद लोहिया का सामना करना पडा पर हिम्मत न हारी। कितनी (गोयल) अग्रवाल जैन का परिवार मूलत: शिवपुरी बेसहारा महिलाओं को आश्रय दिया, कितने ही को जिले के मगरौनी कस्बे का है। उनके बाबा नाथूराम रोजगार उपलब्ध कराया। आपके मार्गदर्शन में अनेक मगरौनी में ही रहते थे। किन्तु उनके पिता बट्टोमल बेसहारा-- बेरोजगार महिलाओं ने स्वावलम्बन का गुण गोयल व्यवसाय के सिलसिले में भिण्ड आ बसे। वहीं सीखा। वर्धा में जो रोल कस्तूरबा जी का था वही इन्दौर पुराना गुरहाई मौहल्ला में श्री फूलचंद लोहिया का 1903 में फूलकुँवर बाई का था में जन्म हुआ। For Private And Personal Use Only
SR No.020788
Book TitleSwatantrata Sangram Me Jain
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain, Jyoti Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2003
Total Pages504
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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