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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रथम खण्ड 225 बहुत शौक था, अत: राष्ट्रीय आपके प्रयास से दमोह में जैन सेवादल बना, आन्दोलन के अनेक चित्र जिससे युवकों में समाज एवं राष्ट्रसेवा की भावना जागृत आपके पास ही थे। शायद ही हुई। इसमें लाठी, लेजिम, तलवार, भाला चलाना कोई कांग्रेस अधिवेशन आपके सिखलाया जाता था। देखे बिना रहा हो। 1939 में त्रिपुरी कांग्रेस में कंप्टिन ट्रेनिंग में 1923 में झण्डा आप त्रिपुरी में तीन हफ्ते रहे और फिर दमोह से सत्याग्रह के अवसर पर 10 स्वयंसेवकों को लेकर तीन हफ्ते तक आपने जबलपुर विक्टोरिया टाउन हाल की गुम्बज अधिवेशन में काम किया। इसमें बाहुबली व्यायामशाला पर बिजली अवरोधक पट्टी पकड़कर झण्डा चढ़ाया। और जैन सेवादल के ही अधिक सदस्य थे। पलिस यह करिश्मा देखकर हैरान हो गई। पुलिस 1942 के बम्बई कांग्रेस अधिवेशन से करो या दल ने गोली से प्रेमचन्द को मार गिराने की इजाजत मरो का नारा, साइक्लोस्टाइल मशीनें, तार काटने तथा मांगी, परन्तु अंग्रेज सारजैंट समझ रहा था कि इस पटरी उखाड़ने के औजार एवं पिस्तौलें आदि लेकर, अपार जन समूह के क्रोध का शिकार केवल मैं ही दाढ़ी-मूंछ लगाकर, भेष बदलकर 'उस्ताद'जी दमोह बन जाऊँगा, अत: इजाजत नहीं दी। प्रेमचन्द को आये और काम शुरू कर दिया। बुलेटिन छपने लगे, नीचे उतरने को कहा गया, परन्तु वह ऊपर से ही तार कटने लगे तथा रेल पटरियां उखाडी जाने लगीं। चिल्ला रहे थे कि 'कोई मुझे उतारो मुझसे उतरते अनेक सेनानी गिरफ्तार हुए। नमक आन्दोलन में भी नहीं बनता।' बालक प्रेमचन्द टाउन हाल के पीछे से आपने भाग लिया था। 26-11-1980 को आपका आकर दीवार की खिड़कियों, दरवाजों और कंगूरों निधन हो गया। का सहारा लेकर ऊपर चढ़ तो गये थे परन्त उतर आ) (1) म() प्र.) स्वा) सै), 'भाग-2, पृष्ठ-85 (2) श्री संताप सिंघई दमोह द्वारा प्रषित परिचय। (3) प() () इ.), पृष्ठ नहीं सके। निदान, सीढ़ियाँ लगाई गई. रस्सा गुम्बद के कलश से बांधा गया, तब प्रेमचन्द उतरे। पुलिस ने झण्डे को बांस में हंसिया बांधकर निकाला, जिस श्री प्रेमचंद कापड़िया कारण गुम्बद में लगी छड़ टेड़ी हो गयी, जो आज श्री प्रेमचंद कापड़िया, पुत्र- श्री फूलचंद का भी देखी जा सकती है। इनके साथ चार साथी और जन्म 1923 में दमोह (म0 प्र0) में हुआ। आपके थे जो गम्बद के नीचे छत पर से ही इस फूर्तीले पूर्वज कपड़े का व्यापार करने के कारण 'कापड़िया' नौजवान की हिम्मत और फर्ती देखते रहे। सत्याग्रह कहलाते थ। आपने प्रसिद्ध स्वाधीनता सेनानी श्री कई दिनों तक चला पर गम्बद तक कोई नहीं पहुंच रघुवर प्रसाद मोदी के साथ भी वस्त्र-व्यापार किया सका। प्रेमचंद जी इस कारण गिरपतार हुए और था। अत: उन्हीं के विचारों के प्रभाव से आप । वर्ष (, माह का सी क्लास का कठिन कारावास स्वतंत्रता-प्रेमी बन गये और 193) में त्रिपुरी कांग्रेस पाया, जिसमें खड़े-खड़े पाँच सेर गेहूँ पीसना पड़ता में स्वयंसेवक के रूप में तीन हफ्ते कार्य किया। था। चक्की चलाने से शरीर पर निखार आ गया। आप कांग्रेस के हर कार्य में भाग लेते रहे। आप बाहुबली व्यायामशाला के सबसे शक्तिशाली 8 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आन्दोलन के पहलवान थे, अत: 'उस्ताद' कहलाने लगे। समय आप बम्बई में थे। वहां की आगजनी और लूटमारी For Private And Personal Use Only
SR No.020788
Book TitleSwatantrata Sangram Me Jain
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain, Jyoti Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2003
Total Pages504
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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