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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 194 . स्वतंत्रता संग्राम में जैन नारेबाजी और धारा 144 का उल्लघंन करने पर में बुढार, जिला-शहडोल (म0प्र0) में हुआ। अपने साथियों सहित आप गिरफ्तार कर लिये गये और कुछ समय के बुढ़ार के सबसे शिक्षित व्यक्ति श्री जैन ने दिन जेल में रहे। 2 अक्टूबर 1942 को आप मजिस्ट्रेट बी0 ए0 तक शिक्षा प्राप्तकर एक शिक्षक के रूप में के सामने उपस्थित हए। इनसे माफी मांगने को कहा अपना जीवन प्रारम्भ किया। (पारिवारिक परिचय हेत गया लेकिन धरमचंद जी ने माफी मांगने से साफ मना धर्मचंद जी के अग्रज श्री रतनचंद जैन का परिचय कर दिया, फलस्वरूप आपको 6 माह की सजा हुई। इसी ग्रन्थ में देखें) पर भारत माता की बेडियों के 2 माह डिटेशन में भी रखा गया जब यह जेल में थे कारण शिक्षक पद से त्यागपत्र देकर आप आजादी तो इनकी माता जी का निधन हो गया पर जेल से के आन्दोलन में कूद पड़े। बड़े भाई रतनचंद पहले नहीं छोड़ा गया और मां के निधन का दुख भी आप से ही आन्दोलन में सक्रिय थे। 1942 के आन्दोलन देश की खातिर हंसते-हंसते सह गये। में 20-8-1942 को आप गिरफ्तार कर सेन्ट्रल जेल 'जिला स्वतंत्रता संग्राम सेनानी संगठन' के मंत्री रीवां भेज दिये गये, जहाँ 22-2-1943 तक धर्मचन्द जी कहते हैं आज के दौर में समाज सेवा अन्डरट्रायल रहे। बाद में 22-2-1943 को 200/-रुपये के नाम पर नेता पदों के लिये भाग-दौड़ और दांव-पेंच जुर्माना और छह माह कठोर कारावास की सजा आपको में उलझे रहते हैं। जनसेवा की भावना पहले जैसी सुनाई गई। यह सजा भी आपने सेन्ट्रल जेल रीवां में किसी में दिखाई नहीं देती। बिना पैसे के जरा सा काम काटी। नहीं होता। अधिकारी, कर्मचारी और तथाकथित नेता श्री जैन शहडोल जिला कांग्रेस कमेटी तथा भ्रष्टाचार में डूबे हुए हैं। आज चारों ओर भ्रष्टाचार और कुछ समय धनपुरी कालरी मजदूर संघ के अध्यक्ष भाई-भतीजाबाद का बोलवाला है, अधिकांश युवा पीढ़ी रहे थे। 1944 के बाद आप मजदूरों के नेता कहे जाने स्वतंत्रता सेनानियों को सम्मान नहीं देती।' लगे थे। मजदूरों की आर्थिक स्थिति उन्नत करने में धर्मचंद जी कहते हैं- 'आज की पीढी आजादी आपने महती भूमिका निभाई थी। 16-12-1987 को के महत्त्व को नहीं समझ रही है। कितनी कुर्बानियों भोपाल में आपका देहावसान हुआ। के बाद अंग्रेजों के दमन से मुक्ति मिली थी।' आपने आ0-(1) म0 प्र0 स्व0 सै0, भाग-5, पृष्ठ-312 जनता से भाई-चारे, शांति और जनसेवा के लिए काम (2) जै) स) रा0 अ0 (3) स्वा० आ0 श), पृष्ठ-103 करने का आह्वान किया। श्री धर्मचन्द 'मस्त' को म0प्र0 सरकार ने ताम्रपत्र श्री धीरजमल के तुरखिया भेंट कर सम्मानित किया था, आप कांग्रेस सहित ब्यावर (राजस्थान) के श्री धीरजमल के0 अनेक समाजसेवी संस्थाओं से जुड़े हुए थे। 1999 में तरखिया विद्यार्थी जीवन में ही राष्ट्रीय आन्दोलन में आपका निधन हो गया। कूद पड़े। 1912 में जब आप जैन ट्रेनिंग कालेज ___ आ0-(1) म0 प्र0 स्व0 सै0, भाग-2, पृष्ठ-32 रतलाम में पढ़ रहे थे तब गांधी जी ने साबरमती के (2) दैनिक भास्कर, भोपाल 22-8-94 (3) आ0 दी0, पृष्ठ-50 तट पर सत्याग्रह शुरू किया था, उसमें आपने भर्ती सवाई सिंघई श्री धर्मचंद जैन होना चाहा। आश्रम में कुछ दिन रहे भी, चूंकि वहाँ शहडोल जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे पिताजी की बिना आज्ञा के भर्ती नहीं किया जाता श्री धर्मचंद जैन, पुत्र-श्री रामचंद जैन का जन्म 1913 था, अतः आज्ञा न मिलने से पुनः रतलाम में पढ़ाई For Private And Personal Use Only
SR No.020788
Book TitleSwatantrata Sangram Me Jain
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain, Jyoti Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2003
Total Pages504
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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