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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रथम खण्ड 185 श्री दालचंद जैन दोनों बडे भाई भी स्वतंत्रता आंदोलन में कद पडे. जिससे सागर (म0प्र0) के श्री दालचंद जैन, पुत्र- श्री घर की माली हालत बिगड़ गई एवं पूरा परिवार मानकलाल जैन ने 1942 के भारत छोडो आन्दोलन दाने-दाने को मोहताज हो गया। में भाग लिया और 3 माह का कारावास भोगा। अपनी जेलयात्रा के सन्दर्भ में आपने अतीत की आ- (1) मा) प्र) स्व) सै०, भाग-2, पृष्ठ- 30 को याद करते हुए लिखा है- 'मुझे याद है एक अंग्रेज भक्त भारतीय अधिकारी को मेरे ऊपर की गई (2) आ) दी0, पृष्ठ-47 टिप्पणी- “यह 15--16 साल का लड़का बहुत श्री दालचंद सिंघई खतरनाक है इसे सबसे अलग रखो।" और मुझे सतत् गढ़ाकोटा, जिला- सागर (म0प्र0) के श्री 4 दिन एक कालकोठरी में अकेला रखा गया।' दालचंद सिंघई, पत्र-श्री जेल में लोहे के बर्तनों में खाना बनाया जाता वृन्दावन का जन्म 1908 में था, जिससे सभी खाद्य काला पड़ जाता था। पेट में हआ। आरम्भ से ही आप चूहे दौड़ा करते थे, परन्तु दिल-दिमाग उस खाने से जना में सरकार दूर भागता था। इसी बात को लेकर जेल में अनशन शुरू कर दिया साथ ही नारेबाजी भी। इससे खिन्न होकर रहा 28 फरवरा 1953 स जेल अधिकारियों ने लाठीचार्ज करवा दिया मेरी पोट 24 नवम्बर 1933 तक एवं पैर जख्मी हो गये थे। मेरे बदन पर आज भी यह आपने कठोर कारावास की निशान, जिसमें देश की स्वतंत्रता की भावना छुपी है, यातनायें सही थीं। जिंदा हैं। आ) (1) म0 प्र0 स्व0 सै), भाग-2, पृष्ठ-30 (2) उस सयम हम कई गीत गाया करते थे, दूसरे आ) दी), पृष्ट- 47 (3) अनेक प्रमाण पत्र के रचित भी एवं स्वरचित भी। मुझे एक गीत याद श्री दिगम्बरराव जैन, खड़के आता है। 'ओ दगावाज, मक्ककार, सितमगर, बेईमान ओ श्री दिगम्बरराव जैन (खड़के) पुत्र-श्री शांतीनाथ हत्यारे दोजख के कुत्ते, खुदगर्जी, बेरहम, बेवफा, जैन का जन्म, ग्राम-प्रभातपट्टन, जिला-बैतूल (म0प्र0) बदकारे, बद पिल्ले थोते चश्म हरामी, रह जालिम गद्दारे 7 के एक गरीब परिवार में तुम्हीं हिन्द में बन सौदागर, आये थे टुकड़े खाने!!' हुआ। आपकी माता का नाम यह बहुत बड़ा गीत था, पूरा याद नहीं है, जेल श्रीमती सकुबाई था। पन्द्रह में ही जब्त कर लिया गया था। वर्ष की अल्पायु में ही आपको एक गीत और याद आता है. जो मैंने अपनी शिक्षक की नौकरी मिल गई गिरफ्तारी के बाद गाया थाऔर इसी के साथ शुरू हो 'हथकड़ी जो हाथ में डाली गई सरकार है। गया स्वतंत्रता पाने की देश को आजाद करने का यही हथियार है। दीवानगी का आलम। गाँव के महान् स्वतंत्रता सेनानी फेंक देगी इस तरह से मिस्ले लंका की तरह। श्री बिहारी लाल पटेल के निर्देशन में स्वआत्मा की आह पुरता (?) सिर, यह जंजीर की झंकार है। आवाज पर आपने लोगों को अंग्रेजों की खिलाफत करने देश को आजाद करने का यही हथियार है। के लिए उकसाया, फलस्वरूप आपको छ: माह के इसके पश्चात् आपने इंदौर के राजकुमार मिल कठोर कारावास की सजा दी गई। इसी बीच आपके में श्रमिक की नौकरी की। वहाँ स्वास्थ्य ने साथ नहीं For Private And Personal Use Only
SR No.020788
Book TitleSwatantrata Sangram Me Jain
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain, Jyoti Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2003
Total Pages504
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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