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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रथम खण्ड 173 दिसम्बर को गिरफ्तार कर लिया गया और कलेक्टर भङ्ग किया। आपको अन्य साथियों के साथ लाठी के समक्ष पेश किया गया। कलेक्टर ने माफी मांगने चार्ज, सड़कों पर घसीटे जाने तथा घोड़े-दौड़ाने आदि को कहा पर आपने माफी नहीं मांगी, फलतः आठ के कष्ट दिये गये। विनोदी जी ने कांग्रेस के प्रत्येक माह के सख्त कारावास की सजा आपको भोगनी रचनात्मक कार्य, पिकेटिंग आदि में भाग लिया था। पड़ी। कुछ समय आप जेल की काल कोठरी में भी 1930 के जंगल सत्याग्रह के प्रथम जत्थे में रखे गये। एक साक्षात्कार में श्री जैन ने प्रहलाद गिरफ्तार होकर छ: माह की सख्त जेल आपने पाई। एस) नायक से कहा था कि- 'आज के नेताओं में जेल से निकलकर शहर में नेशनल स्काउट पहले जैसी भ्रातृत्व भावना, देशभक्ति एवं सेवा देखने ऐसोसियेशन' के गठन में आपने प्रमख कार्य किया को नहीं मिलती। आज का नेता स्वयं के विकास में था। पुरानी 'नवजवान सभा' तो गैर कानूनी घोषित हो उलझा रहता है, देश की किसी को परवाह नहीं है।' ही चुकी थी, यह नवजात संस्था भी सरकार के कोप आ) (1) म) प्र0 स्व) सै), भाग-2, पृ)-27, (2) से न बची, अतः आप अपने साथियों के साथ लगान दैनिक भास्कर, भोपाल, 20-11-94 बंदी आन्दोलन में गिरफ्तार किये गये। 1934 में बा) श्री टीकाराम "विनोदी' जयप्रकाशनारायण ने महाकौशल में सोशलिस्ट पार्टी अपने विनोदी स्वभाव के कारण 'विनोदी' उपनाम स्थापित की। आप उसके डेलीगेट ब से ख्यात, प्रख्यात समाजसुधारक और राष्ट्रीय कवि, आपका झुकाव समाजवाद की ओर हो गया था। श्री टीकाराम 'विनोदी' का जन्म 1907 में हुआ। मजदूर आन्दोलन में भी आपका जबरदस्त हाथ था। आपके पिता का नाम श्री किशोरी लाल जैन था। एक साल तक मजदर यनियन के सेक्रेटरी भी आप आपको आर्थिक कारणों से बचपन से ही व्यवसाय रहे। त्रिपुरी कांग्रेस में किसान तथा मजूदरों की रैली अपनाना पड़ा तथा कपड़े की फेरी लगाकर आप कराने में भी सहयोग दिया, उस रैली का नेतृत्व आत्मनिर्भर बने। समाज से हुए व्यापक संपर्क के स्वामी सहजानंद तथा प्रो0 रंगा ने किया था। कारण राष्ट्रीय चेतना उत्पन्न हुई और आपने 'विनोदी' 1942 में विनोदी जी व उनके साथियों के उपनाम से कवितायें लिखना प्रारम्भ किया। वारण्ट निकल चुके थे, पर सीधे गिरफ्तार होना 1920 के कांग्रेस के नागपुर अधिवेशन के आपको गंवारा नहीं था। अत: पलिस द्वारा घिरे रहने समय आपने अपने साथियों सहित स्कूल छोड़ दिया के बावजूद भी फरार हो गये और करीब एक माह और आन्दोलन में सक्रिय भाग लेने लगे। 1923 के फरार रहे। इन दिनों आपने गांवों का दौरा कर झण्डा सत्याग्रह में बहुत प्रत्यन करने पर भी उम्र किसान आन्दोलन खड़ा किया। रात को अपने साथियों कम होने से आप सत्याग्रह नहीं कर सके। पर इससे के साथ क्रान्तिकारी बलेटिन छापते थे और आम आपके दिल में बलिदान की आकांक्षा और प्रबल जनता में वितरित करते थे। बहुत बार पुलिस घेर होती गई। 1929 में आप गांव छोड़ जबलपुर (म0प्र)) कर भी आपको पकड़ नहीं सकी। अन्त में 17 आ गये। लाहौर कांग्रेस की पूर्ण आजादी की घोषणा सितम्बर 1942 को आधी रात में पुलिस ने घेर के बाद आपने शहर के अपने नव जवान साथियों के लिया। डेढ साल तक जबलपुर सेण्ट्रल जेल में साथ 'नव जवान भारत सभा' की स्थापना की और नजरबंद रखने के बाद । दिसम्बर 1944 को आप सबसे पहले कैण्टोनमेंट एरिया में प्रवेश कर कानून रिहा हुए। For Private And Personal Use Only
SR No.020788
Book TitleSwatantrata Sangram Me Jain
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain, Jyoti Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2003
Total Pages504
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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