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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org 172 एक साक्षात्कार कहा था- 'मेरे साथ सात लड़कों ने भी कालेज छोड़ दिया था, और वे अपने-अपने स्थानों पर जाकर, असहयोग आन्दोलन में सम्मिलित हो गये थे।' (सहारनपुर सन्दर्भ, भाग-1, पृ0-140) 1920 में गांधी जी ने अदालतों के बहिष्कार का निर्देश दिया था अतः सहारनपुर में अदालतों का बहिष्कार किया गया और कौमी अदालतें बनायी गईं, जिनका निर्णय सबको मान्य होता था। इस प्रकार की अदालत में झुम्मनलाल जी न्यायाधीश और मुंशी जहूर अहमद पेशकार थे। 1921 के आन्दोलन के बाद सहारनपुर में रचनात्मक कार्य जैसे अछूतोद्धार, चरखा चलाना, समाज सेवा करना आदि प्रारम्भ हुए। इन सभी में अपने अन्य साथियों के साथ श्री जैन ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था। 1927 में सहारनपुर में कांग्रेस का विधिवत् गठन हुआ इसमें श्री झुम्मन लाल जी सक्रिय कार्यकर्ता थे। 1932 के आन्दोलन में आप अपने पुत्र हंसकुमार के साथ जेल गये थे। 20 सितम्बर 1930 को सरसावा में कांग्रेस की ओर से एक कांफ्रेंस का आयोजन किया गया इसको सफल बनाने में श्री दीपचंद, श्री जम्बू था, प्रसाद (जैन) और श्री कैलाश चंद (जैन) के साथ आपने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। जब सम्मेलन की तैयारी शुरू हो गयी तो 19 सितंबर 1930 को सरकार ने दफा 144 लगा दी । यद्यपि कांफ्रेंस का स्थान बदलकर जमना का पुल निर्धारित किया गया किन्तु जत्थे और सत्याग्रही सरसावा एकत्रित हो गये। तभी एक पुलिस के सिपाही द्वारा वैद्य रामनाथ को सूचना मिली कि वैद्य रामनाथ, प्रभुदयाल, झुम्मनलाल, जम्बू प्रसाद (जैन) और कैलाश चंद (जैन) के सामने आने पर गोली मारने के आदेश हो गये हैं। पता चलते ही झूम्मनलाल जी अपने 3 साथियों के साथ फरार हो गये। 1934 में जिला Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir स्वतंत्रता संग्राम में जैन कांग्रेस कमेटी में आप प्रतिनिधि चुने गये। 1934 में ही नगर पालिका सहारनपुर की सीट पर भी आप चुनाव में जीते थे। म्यूनिसिपल विधान के बारे में आप उस समय जिले के महापण्डित माने जाते थे। आ. (1) जै० स० रा० 30, (2) स० स०, भाग-2 पृष्ठ-140, 163, 176, 183, 544, (3) उ0 प्र0 जै० ध०, पृष्ठ- 85 श्री टीकमचंद जैन पहाडिया श्रम कानून के विशेषज्ञ श्री टीकमचंद जैन पहाडिया का जन्म एक अप्रैल 1923 को कोटा ( राजस्थान) में हुआ । विद्यार्थी जीवन में ही आप स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े और 1942 में पढ़ाई छोड़कर जेल यात्रा की। बाद में एम० ए० (अर्थशास्त्र एवं राजनीतिशास्त्र) तथा एल0एल0बी0 करने के बाद राजकीय सेवा में प्रवेश लिया और अन्त में राजकीय अधिकारी के पद से निवृत होकर श्रम सलाहकार के रूप में विख्यात हुए। श्री जैन के श्रम समस्याओं पर अनेक लेख प्रकाशित हुये हैं। आप यूरोप, थाईलैण्ड, जापान, दक्षिण कोरिया, हांगकांग, संयुक्त राज्य अमेरिका आदि देशों की यात्रा कर चुके हैं। लेबर कानून के आप विशेषज्ञ माने जाते हैं। स्वतंत्रता सेनानी के रूप में आपको राजस्थान सरकार द्वारा 13 अप्रैल 1988 को ताम्र पत्र भेंट कर सम्मानित किया गया है। आ)- (1) जै० स० वृ० इ०, पृ0-240 श्री टीकाराम जैन 'सागर जिला स्वतंत्रता संग्राम सैनिक संघ' के सचिव, श्री टीकाराम जैन, पुत्र- श्री राजाराम जैन का जन्म 18 नवम्बर 1923 को सागर (म0प्र0) में हुआ। आपने अंग्रेजी एवं पुरातत्त्व में स्नातकोत्तर उपाधियाँ अर्जित की हैं। अध्यापन के व्यवसाय से जुड़े श्री जैन ने शिक्षा सम्बन्धी अनेक पुस्तकों की रचना की है। 1942 के आन्दोलन में आपको 9 For Private And Personal Use Only
SR No.020788
Book TitleSwatantrata Sangram Me Jain
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain, Jyoti Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2003
Total Pages504
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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