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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रथम खण्ड 159 1942 से दिसम्बर 1943 तक लगभग 15 माह की जब आप अध्ययनरत दारुण यातनाएं जबलपुर जेल में भोगीं। बाद में आप थे तब पं0 जवाहर लाल किसान आन्दोलन से भी सम्बद्ध रहे। 1966 में नेहरू टीकमगढ़ (तत्कालीन आपका निधन हो गया। ओरछा राज्य) आये। पर आy () म) 90 स्व) सै, भाग-1, पृ0-48. निषेध के कारण टीकमगढ़ (2) स्वा मा पा), पृ. 117 की सीमा में प्रविष्ट नहीं हो श्री चैनदास लोढ़ा सके, फलत: उत्तर प्रदेश के इन्दौर ( मा प्र0) के श्री चैनदास लोढा. पत्र-श्री सीमावर्ती ग्राम खिरिया में उन्होंने सभा की। श्री जैन हरिदास लाढा का जन्म । अक्टूबर 1922 को उस सभा में गये थे। पं) नेहरू के भाषण से हुआ। 1942 के स्वाधीनता संग्राम में भाग लने पर प्रभावित हो आपने 30 सितम्बर 1937 में टीकमगढ आप 2 माह इन्दौर जेल में नजरबंद रहे तथा मण्डले के झण्डा आन्दोलन में सक्रिय भाग लिया और वर जेल में एक वर्ष का कारावास आपने भोगा था। आरछा सवा संघ' के सक्रिय सदस्य बनकर अपने आ) (1) मा प्र) स्वा) सै0, भाग 4, पृ0.20, सहपाठी प्रसिद्ध शहीद श्री नारायण दास खरे के साथ (2) पत्र श्री ज्ञा। सिंह लोढा द्वारा प्रेषित पत्र कार्य करने लगे। राज्य सरकार ने इस पर आपको श्री छक्कीलाल जैन पकड़वाकर उ0प्र0) के सीमावर्ती कस्वा मऊरानीपुर में छुड़वा दिया और टीकमगढ़ से ढाई वर्ष को ग्राम लौंडी भड़ोकर (तत्कालीन-विन्ध्य प्रदेश) निष्कासित कर दिया। आप समीपवर्ती ग्रामों में के श्री छक्कीलाल जैन, पुत्र- श्री दौलत जैन 1937_ घूम-फिर कर स्वतंत्रता की अलख जगाते रहे। से ही कांग्रेस के कार्यकर्ता हो गये थे। 1939 कं थौना लहारी झण्डा आन्दोलन के समय अपने गांव पड़ौसी रियासतों में उत्तरदायी शासन हेतु चलाये गये लगभग सभी आन्दोलनों में आपने भाग लिया, में झण्डा फहराने के कारण 22-2-193) को आपको गिरफ्तार हुए और पुलिस की मार खायी। आपने गिरफ्तार किया गया। ओरछा अदालत ने 3-3-1939 मैहर, नागौद, चरखारी, रीवां आदि राज्यों में सत्याग्रह को तीन माह की सजा व 50/- रुपये का अर्थदण्ड करवाये । आप 1942 से 47 तक टीकमगढ़ कांग्रेस आपको दिया था। 2-1)-1939 को आप जेल से कमेटी के अध्यक्ष रहे। आपने वहाँ खादी भंडार भी रिहा हुए। आपके भाई श्री राजधर भी आपके साथ संचालित किया। केन्द्र और राज्य दोनों सरकारों ने जेल में रहे। आपको सम्मानित किया है। आ) (1) वि) स्व) स0 10, पृ0-187 आ).. (1) म0 प्र0 स्त्र) सै), भाग-2, पृ0-127, (2) श्री छक्कीलाल जैन लोडुवा स्व) प) (3) वि) स्वा) स) इ), पृ)-152, 190, 305, 350 आदि श्री छक्कीलाल जैन लोडुवा, पुत्र- श्री दुलीचंद श्री छीतरमल जैन लोडुवा का जन्म वि0सं0 1873 (1916 ई0) में ____ मुरैना (म) प्र0) के श्री छीतरमल जैन, पुत्र- श्री टीकमगढ़ (म) प्र()) में हुआ। आपने प्रारम्भिक हरगोविन्द का जन्म 1893 में हुआ। आपने माध्यमिक शिक्षा जैन पाठशाला टीकमगढ़ में पाई और लौकिक शिक्षा कक्षा 7 वीं तक स्थानीय सवाई महेन्द्र हाई तक शिक्षा ग्रहण की और राजनैतिक गतिविधियों में स्कूल में प्राप्त की। सक्रिय भाग लेने लगे। आप सार्वजनिक सभा के For Private And Personal Use Only
SR No.020788
Book TitleSwatantrata Sangram Me Jain
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain, Jyoti Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2003
Total Pages504
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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