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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 128 स्वतंत्रता संग्राम में जैन पास कर लौटे। 1940 में आपने श्री गणेश वर्णी 4 माह का कारावास भोगा था। 1972 में आपका संस्कृत महाविद्यालय मोराजी, सागर में नौकरी कर निधन हो गया। ली। किन्तु 42 के आन्दोलन में भाग लेने हेतु आपने आO- (1) आO) दी0, पृष्ठ-33, (2) म0 प्र0 स्व) सै0, नौकरी भी छोड़ दी। भाग-2, पृष्ठ 12 शास्त्री जी प्रारम्भ से ही राष्ट्रीय विचारधारा के सिंघर्ड कालराम जैन रहे हैं। 1926 में सम्भवतः पूरे विश्व में दमोह ऐसा सिंघई कालूराम जैन, पुत्र-श्री दरबारीलाल जैन शहर था, जहाँ शराब बंदी हुई थी। शास्त्री जी ने इस का जन्म 1897 में पाटन, जिला-जबलपुर (म0 प्र0) आन्दोलन में पिकेटिंग कर शराब की दुकानें बन्द में हआ। पाटन में आपने 1930 से 1934 तक सविनय करवाई थीं। नमक सत्याग्रह व जंगल सत्याग्रह में अवज्ञा आन्दोलन के कार्यक्रमों एवं राष्ट्रीय महासभा आपने कटनी में रहते हुए भाग लिया, पुलिस द्वारा के प्रसार में योग दिया। आपके शांत एवं अहिंसावादी पकड़े गये पर छोड़ दिये गये। 32-33 में आप सिद्धान्त के सम्बन्ध में पं0 कामताप्रसाद बबेले ने कहा स्याद्वाद महाविद्यालय बनारस चले गये, वहीं आपने था कि 'जब विलायती वस्त्रों की दकान पर स्वयंसेवक प्रसिद्ध क्रान्तिकारी श्री मन्मथनाथ गुप्त के सहयोग धरना दे रहे थे और कतिपय देशघातक उनके शरीरों से क्रान्तिकारी पार्टी में पिस्तौल चलाना, बम फेकना, पर चरण रखते हुए आगे बढे. तब देशभक्तों के क्रोध तैरना, पेड़ पर चढ़ना आदि कार्यों का अभ्यास का पार नहीं था, वे हिंसात्मक प्रतिशोध पर उतर आये किया। आप कुछ समय दिल्ली भी रहे, वहां आपने थे। किन्त सिंघई कालूराम जी के सामयिक हस्तक्षेप पर्चे बांटने का काम किया। देश के बड़े नेताओं के तथा उनके टाय गांधी जी की शांत नीति का स्मरण दर्शन आपने यहीं किये। दिलाने पर सभी शांत हुए।' पिण्डरई (जिला-मण्डला) में जंगल कटवाने 1935 में आप कटनी चले गये और वहां की और जैसीनगर में कोतवाली जलाने के प्रयास में राष्टीय गतिविधियों में सतत भाग लेते रहे। 1940 में 4-9-42 को आप गिरफ्तार कर सागर जेल भेज दिये व्यक्तिगत सत्याग्रह में भाग लिया। इसके अन्तर्गत आपने गये, जहाँ नौ माह की सजा दी गई। अन्य साथियों के 13 जनवरी 1941 को सत्याग्रह-यात्रा पर दिल्ली के साथ आपने सागर जेल के फासी घर को तोड़ दिया, लिये प्रस्थान किया। मार्ग-स्थित ग्रामों में युद्ध-विरोध दीवारों पर तिरंगे बना दिये, बगीचा उजाड़ दिया, अत: सन्देश एवं स्वतंत्रता संग्राम की हंकार गंजाते हएआपको जबलपुर जेल स्थानान्तरित कर दिया गया। स्लीमनाबाद, सिहोरा, मझौली. संग्रामपर, दमोह, बांसा जेल से आने के बाद भी आप सभी आन्दोलनों में होते द्वारा प सभा आन्दालना में होते हुए 10 फरवरी 1941 को रौंड ग्राम पहुंचे। वहीं भाग लेते रहे व कांग्रेस के सक्रिय सदस्य रहे। सम्प्रति आप पलिस द्वारा गिरफ्तार कर सागर ले जाये गये, शास्त्री जी धार्मिक ग्रन्थों के अध्ययन में संलग्न है। जहां आपको छह मास का कारावास एवं 100 रुपय आ)-(1) म) प्रा) स्वा) सै0, भाग-2,पृष्ठ-80, (2) श्री. का अर्थ दण्ड हुआ। आपने नागपुर कारागार में उक्त संताप सिंघई, दमाह द्वारा प्रषित परिचय, (3) स्व0 प0 छह मास का कारावास काटा। द्वितीय बार आप 1942 श्री कालूराम जैन की जनक्रांति के दौरान गिरफ्तार किये गये और केन्द्रीय रहली. जिला-सागर (म0प्र0) निवासी श्री कारागार में दि0 12-8-1942 से जनवरी 1944 तक कालूराम जैन, पुत्र-श्री टुण्ड ने 1932 के आन्दोलन में बन्दी रहे। 'जैन सन्देश' लिखता है कि- 'सिंघई जी For Private And Personal Use Only
SR No.020788
Book TitleSwatantrata Sangram Me Jain
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain, Jyoti Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2003
Total Pages504
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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