SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 153
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 92 स्वतंत्रता संग्राम में जैन थे। 1926 के बाद अजितप्रसाद जी भी इसमें सक्रिय निकाला गया। तत्काल प्रशासन ने धारा 144 लगा दी, हा गय। 1927-28 में उनके इस प्रकार के कार्यो पर श्री जैन कहाँ मानने वाले थे, अपने अनेक साथियों की चरम परिणति तब हुई जब जैनियों ने उन्हें जाति के साथ उन्होंने धारा 144 तोड़ी और गिरफ्तार हुए से बहिष्कृत करने का विचार किया। इस सन्दर्भ में आपके गिरफ्तार होने पर श्रीमती सरजू प्रभादेवी एवं श्री जैन के साथी श्री हीरा वल्लभ त्रिपाठी ने एक जावित्री देवी ने भाषण दिये थे। दिसम्बर 1932 में साक्षात्कार में बताया था कि '1927-28 में सहारनपुर धारा 144 तोड़ने के अपराध में आपका पुन: गिरफ्तार में एक सहभोज का आयोजन किया गया जिसमें कोई कर लिया गया और 4 माह की सजा सुनाई गई। वहाँ जाति. वर्णादि का भेद नहीं रखा गया। मौलाना मंजुरुल से छूटने के बाद आपन श्री खुरशैदी लाल के साथ पुनः नबी. अजित प्रसाद जैन व मैं सहभोज में सक्रिय थे, सत्याग्रह कर दिया, फलतः पुन: गिरफ्तार हुए और जेल अत: तीनों का उलेमाओं, जैनियों और पण्डितों ने से तभी छूटे जब आन्दोलन शान्त हो गया। जाति से निकालने का प्रयत्न किया, परन्तु उन्हें सहारनपुर के साथ-साथ आप तहसील देवबंद सफलता न मिल सकी। में भी सक्रिय रहे थे। 12-4-1930 को देवबन्द में सहारनपुर में जब 1927 में कांग्रेस का विधि एक कांफ्रेंस हुई! देवबंद के हाकिम इलाका बाबुराम वत् गठन हुआ तो उसमें श्री जैन सक्रिय कार्यकर्ता यादव ने घोषणा की थी- 'जो देवबन्ट में जलसा थ। 1928 में श्री जेन कलकत्ता कांग्रेस में सम्मिलित करेगा उसे हन्टर से पिटवाऊँगा,' अजितप्रसाद जी ने हुए। 1924) में जब महात्मा गांधी सहारनपुर आये तो यह चुनौती स्वीकार की, वे लालता प्रसाद अख्तर, अजितप्रसाद जैन का स्वागत समिति का मंत्री बनाया मौलाना अब्दुल वहीद और लगभग चार सौ कांग्रेसियों गया। उन्हीं के प्रयास से गांधी जी को दस हजार के साथ कांफ्रेंस में भाग लेने के लिए देवबन्द पहुंचे। रुपये की थैली भेंट की गई। सभा में जोशीला भाषण दिया, परिणामत: आपका गांधी जी की ऐतिहासिक दांडी यात्रा मार्च गिरफ्तार कर लिया गया। 5-3-1931 में जब गांधी 1930 में साबरमती आश्रम से प्रारम्भ हुई। इस यात्रा इरविन समझौता हो गया तब आप रिहा कर दिये गये। के प्रारम्भ होते ही समस्त देश में हलचल मच गई, 12 अगस्त 1934 को श्री हीरा वल्लभ त्रिपाठी सहारनपुर जनपद पर भी इसका गहरा प्रभाव पड़ा। की अध्यक्षता में सहारनपुर नगर कांग्रेस कमेटी के 8 मार्च को विशाल सभा का आयोजन सहारनपुर में चुनाव हुए। अजित प्रसाद जी इसमें प्रधान चुने किया गया जिसकी अध्यक्षता श्री जैन ने की थी। गये इसी वर्ष जिला कांग्रेस कमेटी में आप प्रतिनिधि 13 मई 1930 को सहारनपुर के सैयद अब्बास तैय्यब चुने गये। को गिरफ्तार कर लिया गया इसके विरोध में जुबली 1935 के भारत सरकार अधिनियम के अन्तर्गत पार्क में एक जलसा हुआ, जिसमें 14 मई की केन्द्र और प्रान्तों में अलग-अलग सरकार बनाने की हड़ताल का ऐलान किया गया। यह जलसा ।। बजे व्यवस्था थी। यह अधिनियम पहली अप्रैल 1937 से तक चला, इसमें अजित प्रसाद जी ने जोशीला भाषण लागू होना था। इसमें मुसलमानों के लिए अलग से दिया था। निर्वाचन की व्यवस्था की गई थी। 1936 में ____ जनवरी 1932 में नेताजी सुभाषचन्द्र बोस की यू0पी0असेम्बली के चुनाव कांग्रेस ने मुस्लिम लीग गिरफ्तारी के बाद सहारनपुर में एक विशाल जुलूस के साथ मिलकर लड़े थे। सहारनपुर जनपद में नये For Private And Personal Use Only
SR No.020788
Book TitleSwatantrata Sangram Me Jain
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain, Jyoti Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2003
Total Pages504
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy