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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 87 प्रथम खण्ड चिन्तित होकर मैंने 10 अप्रैल 1939 को "आगरा किया। उस दिन का ऐतिहासिक दिन कितना मनोहारी मद्य निषेद्य बोर्ड" की स्थापना की।' था, यह मैं आज भी नहीं भूला हूँ। हजारों की भीड़ 1940 में महात्मा गांधी द्वारा पुनः सत्याग्रह उमडी पड रही थी। सबके मख पर हर्ष एवं मन आन्दोलन प्रारम्भ किया गया। इस बार गांधी जी ने प्रफुल्लित थे। झंडारोहण कार्यक्रम में 'वन्देमातरम्' और सामूहिक सत्याग्रह के स्थान पर व्यक्तिगत सत्याग्रह 'झंडा गायन' के पश्चात् स्वतंत्रता के संबंध में मैंने करने का आदेश दिया। लेकिन चूंकि गांधी जी का जो भाषण दिया था वह संघर्ष के बाद मिली सफलता आदेश था और व्यक्तिगत सत्याग्रह पर बैठने वाले को के उदगार थे, जिसे सुनकर लोगों में जोश भर गया अपने क्षेत्र का जनप्रिय होना भी आवश्यक था। था। उन्होंने करतल ध्वनि कर अपना हर्ष एवं उत्साह इसलिए लौट फिरकर सर्वप्रथम मेरा नाम ही आया। प्रकट किया। उस समय मझे भी लगा था कि मैंने सहर्ष अपनी स्वीकृति दे दी। मैंने सत्याग्रह पर स्वाधीनता आन्दोलन की संघर्ष-साधना में राष्ट्र की बैठने का निर्णय 15 दिसम्बर 1940 को लिया और ओर से मेरी भी विजय हुई है।' इसकी सूचना अधिकारियों को भेज दी। फलस्वरूप 1946 में आप आगरा नगर की ओर से प्रान्तीय मुझे मेरे बंगले से गिरफ्तार कर लिया गया। उस समय धारा सभा के लिए चुने गये और 1952 तक इस पद मुझे एक वर्ष के कठोर कारावास का दण्ड दिया पर रहे। 1952 में प्रथम लोकसभा के गठन से ही गया।' 1977 तक लगातार आप आगरा से लोकसभा सदस्य 1942 के भारत छोड़ो आन्दोलन में भी आपने आपन निर्वाचित होते रहे, पर 1977 में पराजय का मुंह जेल यात्रा की। इस सन्दर्भ में आपने स्वयं लिखा है देखना पड़ा। इसके बाद आपने अपने नाती श्री निहाल ...........मुझे गिरफ्तार किया गया तथा जेल भेज । सिंह को चुनाव में उतारा और वे भी भारी बहुमत से दिया गया। जेल में इस बार मेरे कूल्हे का दर्द बहुत विजयी हुए। बढ़ गया था, इसलिए मेरा स्वास्थ्य निरन्तर गिरता गया, यहाँ तक कि मेरा वजन जेल में 50 पौंड कम 1924 में स्वराज्य पार्टी के टिकट पर तत्कालीन हो गया। अन्त में 1944 में ढाई वर्ष जेल में रखने के विधान पारषद् का सदस्यता हतु आप चुने गये थे। तिलक स्वराज्य फण्ड व गांधी स्मारक राष्ट्रीय काप के बाद मुझे स्वतः छोड़ दिया गया' 15 अगस्त 1947 को देश के आजाद होने के लिए क्रमश: 25 हजार व साढ़े चार लाख रुपया संस्मरण को सेठ जी ने इस प्रकार व्यक्त किया है आपने आगरा से एकत्रित कराया था। आप आगरा ..........पूरे देश में उल्लास पूर्वक 15 अगस्त को । न विश्वविद्यालय सीनेट के सदस्य रहे थे। 1953 में स्वतत्रता दिवस मनाया गया। उस दिन आगरा नगर में आपक सयाजकत्व में आगरा में अखिल भारतीय भी स्वतंत्रता दिवस मनाया गया। मैं चंकि नगर कांग्रेस काग्र स' का आधवशन हुआ था, जिसम कमेटी का अध्यक्ष था. 14.15 अगस्त की रात को पं0 जवाहर लाल नेहरू व पं०) गोविन्द वल्लभ पन्न! 12 बजे मैंने किनारी बाजार के चौराहे पर ऐलान पधारे थे। 1954 में चीन के तत्कालीन प्रधानमंत्री किया कि आज हमारा देश स्वतंत्र हो गया है. अतः चाऊ एन) लाई के आगरा पधारने पर आपने उनका हजारों के हर्पित-उल्लसित जन-समूह के समक्ष मैंने ही भव्य स्वागत किया था। पाकिस्तान से आये शरणार्थिवा आगरा के रामलीला मैदान में प्रात: 7 बजे झण्डारोहण की भी आपने हर सम्भव मदद की थी। बिहार के For Private And Personal Use Only
SR No.020788
Book TitleSwatantrata Sangram Me Jain
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain, Jyoti Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2003
Total Pages504
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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