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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 84 ...स्वतंत्रता संग्राम में जैन उपक्रम : पाँच जैन स्वतंत्रता सेनानी श्रीमती अंगूरी देवी जैन प्राप्त करने के लिए आग भड़क उठी थी। 1930 के पर्यषण पर्व, वीर निर्वाण संवत् 2519, अपने सत्याग्रह में वे महिलायें, जो कभी पर्दे के बाहर आगरा पर्यषण-प्रवास के दौरान मैं अनंत चतुर्दशी के निकलने की सोच भी नहीं सकती थीं, वो भी अपने दिन सायंकाल 'साहित्य कुंज' में प्रविष्ठ हुआ, एक देश की खातिर सब बंधन तोड़, स्वतंत्रता की लड़ाई वृद्ध महिला ने बड़े प्रेम से में कूद पड़ी। मैंने सैकड़ों महिलाओं को घर से बैठाया, मुझे समझते देर न निकाल कर एकत्रित किया और उनका नेतृत्व किया लगी कि यही देश हित तैयार । मुझे आगरा जिला का चौथा डिक्टेटर नियुक्त किया हैं गरदन कटाने के लिए' का गया।' आह्वान करने वाली श्रीमती नमक सत्याग्रह आंदोलन में श्रीमती जैन ने अंगरी देवी हैं। इनको देखकर कोतवाली पर धरना दिया, पुलिस के प्रहार के कारण कौन कह सकता है कि इस काफी चोटें आयीं और छ: माह की सजा व जुर्माना सम्भ्रान्त महिला ने जेल की कठोर यातनायें सही होगीं हुआ। जेल से रिहा होकर आप फिर कार्य में जुट और देश की आजादी के लिए सब कुछ होते हए भी गयीं। गोरी सरकार द्वारा सभा पर पाबंदी होने पर भी अपना सुख उन्होंने छोड़ दिया होगा ? परन्तु यह सच आपने 26 जनवरी को 'सैनिक प्रेस' की छत पर खड़े है। श्रीमती अंगूरी देवी जैन आगरा के प्रसिद्ध होकर भाषण दिया। इस सभा में सैकड़ों भाई बहिन स्वाधीनता सेनानी, साहित्यकार, पत्रकार, संस्कृतिकर्मी, एकत्रित हुए थे। पुलिस ने इस सभा में लाठी चार्ज जैन-साहित्योद्धारक, प्रकाशक और श्री बनारसी दास किया, जिससे सभा भंग हो गयी, चारों तरफ पुलिस चतुर्वेदी के शब्दों में अखिल भारत के चोटी के की लाल पगड़ी दिखाई दे रही थी। पुलिस ने आपको हिन्दी सेवक' स्व0 महेन्द्र जी (जिनका परिचय इसी गिरफ्तार कर लिया। साथ में आपकी बड़ी पुत्री पद्मा ग्रंथ में है) की पत्नी हैं। भी थी। आपको गिरफ्तार कर कोतवाली ले जाया श्रीमती अंगूरी देवी का जन्म 19 जनवरी 1910 गया, सारे रास्ते आप नारे लगाती रहीं 'इंकलाब को श्री होतीलाल जैन के यहां कासगंज में हुआ। जिंदाबाद' दरोगा मुहम्मद अली डंडे फटकारता रहा आपने कक्षा 5 तक पढ़ाई की। 22 मई 1922 में और कहता रहा कि 'चुप रहिये' लेकिन आपकी आगरा के महान् देशभक्त महेन्द्र जी के साथ आपका आवाज कम नहीं पड़ी, यहां से आपको जिला जेल विवाह हुआ। भेजा गया, आप उस समय गर्भवती थीं। फिर भी छ: अपने अतीत में डूबते हुए श्रीमती जैन ने माह की सख्त सजा सुनाई गई, जेल में पुत्री पद्मा भी बताया कि 'उन दिनों स्त्रियों में शिक्षा की कमी थी। साथ रहीं। पर्दा प्रथा चरम सीमा पर थी। मेरे पति ने स्वयं मझे 1932 के बाद के समय में सत्याग्रह कुछ पढ़ाया और पर्दा छुडाकर स्वतंत्रता संग्राम में अपने मंथरगति में आ गया, वहीं अंदर ही अंदर हिंसात्मक साथ सम्मिलित कर लिया। इस समय भारत में स्वतंत्रता गतिविधियों ने भो जन्म ले लिया था। आपकं निर्देशन For Private And Personal Use Only
SR No.020788
Book TitleSwatantrata Sangram Me Jain
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain, Jyoti Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2003
Total Pages504
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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