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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सूत्रकृताङ्गसूत्र मूलम्-पाणाइवाए वहता मुसावाए असंजता । अदिनादाणे वटुंता मेहूणे य परिग्गहे ॥८॥ छाया-प्राणातिपाते वर्तमाना मृपावादे असंयताः । __अदत्तादाने वर्तमाना मैथुने च परिग्रहे ॥८॥ अन्वयार्थः-(पाणाइवाए) प्राणातिपाते-जीयहिंसायां षट् जीवनिकायमदनरूपायां (मुसावाए) मृपावादे (अदिन्नादाणे) अदत्तादाने (मेहुणे) मैथुने (परिग्गहे) परिग्रहे (वता) वर्तमानाः यूयम् (असंजता) असंयताः सन्तीति । ८॥ टीका-मुखादेव सुखं जायते इति मिथ्यासिद्धान्तं दुषयितुं सूत्रकारः अन्यतीथिकान् माह-पाणाइवाए' प्राणातिपाते-गजीवनिकाय हिंसने, 'मुसा. वाएं' मृषावादे, मिथ्यावचनप्रयोगे । 'अदिन्नादाणे' अदत्तादाने 'मेहुणे' मैथुने - शब्दार्थ-'पाणाइवाए-प्राणातिपाते' षड्जीवनिकायके मर्दनरूप जीवहिंसा में 'मुसावाए-मृषावादे' मिथ्याभाषण में 'अदिन्नादाणे-अदत्तादाने' अदत्तादान में 'मेहुणे-मैथुने' मैथुन में 'परिग्गहेपरिग्रहे' परिग्रह में 'वहता-वर्तमानाः' प्रवृत्त रहनेवाले आप लोक 'असं जता-असंयताः' असंगमी है ॥८॥ ___ अन्वयार्थ--माणातिपात, मृषावाद, अदत्तादान, मैथुन और परि. ग्रह में प्रवृत्ति करते हुए आप लोक असंयमी हैं ॥८॥ टीकार्य-सुख से ही सुख की उत्पत्ति होती है, इस मिथ्या सिद्धान्त को दूषित करने के लिए सूत्रकार अन्यतीथिकों के प्रति कहते हैं-प्राणातिपात अर्थात् षटू जीवनिकाय की हिंसा में भृषावाद मिथ्या. शा-पाणाइवाए-प्राणातिपा३' ५३ नियना भन३५ १ डिंमा 'मुनाबाए-मृषावादे' मि५ शुभा 'अदिन्नादाणे-अदत्तादाने' महत्ता हम 'मेहुणे-मैथुने' भैथुनमा परिग्गहे-परिग्रहे' परिप्रभा वटुंता-वर्तमानाः' प्रवृत्त २२वामा मापस 'असंजता-असंयताः' असयभी छ। ॥८॥ સૂત્રાર્થ–પ્રાણાતિપાત, મૃષાવાદ, અદત્તાદાન, મિથુન અને પરિગ્રહમાં પ્રવૃત્ત એવાં આપ લેકે અસંયમી છે. ટીકાથ–સુખ દ્વારા જ સુખ ઉત્પન્ન થાય છે, આ પ્રકારના મિથ્યા સિદ્ધાંતમાં રહેલા બે પ્રકટ કરવાને માટે સૂત્રકાર પરતીર્થિકોને આ પ્રમાણે કહે છે–તમે પ્રાણુતિપાત-કાયના જીવોની હિંસામાં પ્રવૃત્ત રહે છે, For Private And Personal Use Only
SR No.020779
Book TitleSutrakritanga Sutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherJain Shastroddhar Samiti
Publication Year1969
Total Pages729
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sutrakritang
File Size14 MB
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