________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir | सहसा ताव य सुक्कज्झाणे पविट्ठस्स // 13 // मुणिणो मोहावगमा उप्पन्नं केवलं वरं नाणं / केवलिमहिमा विहिया तओ मए परमविणएणं // 14 // युग्मम् // सोउं दुंदुहिसदं देवा मणुया य आगया बहवे / कहिओ तेसिं धम्मो केवलिणा मोक्खसुहहेऊ // 15 // पत्थावं लहिऊणं पुट्ठो सो केवली मए एवं / भयवं ! किं अवरद्धं इमस्स देवस्स तुम्हेहिं // 16 // जेणेसो पावई जीवियववरोवणम्मि | | उज्जुत्तो? / तो भणइ मुणी निसुणसु जह वेरं आसि अन्न भवे // 17 // धायइसंडविदेहे चंपानामेण आसि वरनयरी। तीए पेउमो राया जुवराया समरके उत्ति // 18 // जिणवयणभावियप्पा सहोयरा दोवि नेहसंजुत्ता / पालेंति देसविरई रजधुरं तह य नीईए // 19 / / अत्थाणमुबगयाण नाहियवाई समागओ कविलो। वजरह नत्थि जीवो न य सव्वन्नू न नेवाणं // 20 // जिणमयसत्थत्थवियाणएण जुवराइणा जिओ वाए। दिदुतहेउकारणनाणाविहजुत्तिनिवहेण // 21 // जुवरनो पडिवयणं जाहे न चएइ किंपि सो दाउं / ताहे मंतिमहत्तमसामंताईहिं उवहसिओ॥२२॥ जाओ य | विलक्खो सो दढं पंउट्ठो य समरके उस्स / कह णु महायणमझे एएणं धरिसिओ अहयं // 23 // एवं विचिंतयंतो अइगुरुरोसेण धमधमंतो सो। अस्थाणमंडवाओ नीहरिओ चिंतए एवं // 24 // न य केणइ पुव्वमहं पराइओ वाइणा इहं लोए / पावेण इमेण पुणो सभाए मज्झम्मि कह विजिओ? // 25 / / ता रयणीए भवणे इमस्स गंतूण गहियकरवालो। छिंदामि उत्तिमंग जेण मणं निवुई लहइ // 26 // रोद्दज्झाणोवगओ एवं सो चिंतिऊण रयणीए। गहियाउहो पविठ्ठो वासहरे समरके उस्स // 27 // बच्चोहरभित्तीए पच्छन्नो 1 व्यपरोपणम् नाशः / 2 पद्मः, तन्नामा राजेत्यर्थः। 3 नाहियवाई नास्तिकवादी। 4 निर्वाण मोक्षः। 5 शास्त्रार्थविज्ञायकेन / 6 घएइ=शक्नोति / | 7 प्रदुष्टः, प्रद्विष्टो वा कष्ट इत्यर्थः / 8 निर्वृतिः सुखम् / 9 गृहीतायुधः आत्तशस्त्रः। 10 वर्ची विष्टा तदुत्सर्गाय गृहं वर्चीगृहम् / For Private and Personal Use Only