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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुरसुंदरी चरिअं। // 7 // ___अह अनया कयाइवि थोवं नियआउयं मुणेऊणं / सूरी संलिहियतणू अणसणविहिणा मैओ सम्मं // 221 // बीयम्मि देव-* अट्ठमो लोगे पवरे चंदज्जुणे बिमाणम्मि। जाओ विमाणसामी देवो उ ससिप्पभो नाम // 222 // धणवाहणोवि साहू अतुट्टरागो चैरित्तु | परिच्छेओ। सामन्नं / कालं काउं विहिणा उप्पन्नो बीयकप्पम्मि // 223 / / सामाणियठाणम्मि देवस्स ससिप्पहस्स सो जाओ। भासुरसरीरधारी | देवो विज्जुप्पहो नाम // 224 / / सावि हु अणंगवइया अविगयरागा चरित्तु सामन्नं / विज्जुप्पहस्स जाया देवी अह चंदरेहत्ति / / 225 // संभरिय पुव्ववेरं बहूवसग्गे करित्तु अइभीमे / अग्गिकुमारसुरेणं सुबंधुजीवेण पावेण // 226 // कणगरहो सो साहु सुलोय|गाए समं तु अजाए। निहओ तं उबसग्गं विसहंतो सम्मभावेण // 227 // कालं काउं दोनिवि उववन्नाई तु बीयकप्पम्मि। चंद ज्जुणे विमाणे सामाणियदेवभावेण // 228 // तिसृभिः कुलकम् // कणगरहो ओ विहुप्पहनामो ईयरा सयंपभा नाम / सावि तइजा | भगिणी वसुमइया आउयखयम्मि // 229 // पुबदइयस्स जाया चंदज्जुणनामगस्स देवस्स / तत्थेव किल विमाणे देवी चंदप्पभा नाम // 230 // एवं एगविमाणे दिव्वसुहं ताण अणुहवंताणं / सव्वेसि अन्नोन्नं अइगरुया आसि पीईओ // 232 // पलिओवमाणि | अट्ठ उ दिव्वसुहं तत्थ अणुहवेऊणं / देवो विज्जुप्पहो सो चइऊण इमम्मि वेयले // 232 // दक्खिणसेढीइ पुरे रमणीए रयणसंचए | |पवरे। पवणगइखयरपुत्तो उप्पनो बउलवइयाए // 233 / / | एवं च ठिए / जो धणवाहणजीवो देवो विज्जुष्पहो य दियलोए / सो य तुम इह सुंदर! उप्पनो चित्तवेगोत्ति // 234 // दे 70 // मृतः। 2 भत्रुटितरागः भत्यक्तरागः / 3 चरित्वाप्रपाल्य। 5 श्रामण्यं-साधुत्वम् / 5 संस्मत्य / 6 उपपन्नौ उत्पन्नौ / 7 इतरा-कनकरथस्य श्री सुलोचनाख्या / For Private and Personal Use Only
SR No.020776
Book TitleSursundari Chariyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhaneshwarmuni
Publisher
Publication Year
Total Pages292
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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