________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir हा अज्जउत्त! वल्लह ! एय अणत्थस्स कारिणी अयं / हा पाविट्ठा तइया किंन मया मयणपच्चक्खं // 59 // हा कह मज्झनिमित्त | पिययम! अइगरुय आवयं पत्तो। हा अजउत्त इण्हि तुह विरहे नत्थि मह जीयं // 60 // भो भो धणदेव ! इमं सोउं खयरस्स भासियं | तस्स / एत्यंतरम्मि य महं एस विगप्पो समुप्पन्नो // 6 // महिलापलावसद्दो पुट्विं जो आसि इह मए निसुओ। एयदइयाए नूणं सो | होही कणगमालाए // 62 // तत्तो य पुरिससद्दो तयणंतरमेव जो मए निसुओ। नहवाहणस्स होही सो सद्दो एयसत्तस्स // 63 // | अहवा किंमए इमिणा विचिंतिएणं तु ताव निसुणेमि / जं किंचि कहइ एसो नियचरियं चित्तवेगोत्ति // 14 // एवं विचिंतिऊणं | तत्तो धणदेव ! सुणिउमाढतो। तब्बयणमहं सव्वं अह सो एवं समुल्लबइ // 65 // भो सुप्पइट्ठ एवं विलवंता बहुविहं सुदुक्खत्वा / नहवा हणेण नीया मज्झ पिया कणगमालत्ति // 66 // अयंपि तओ दूसहविसहरकयवेयणाए वेवंतो। दइया विओयगुरुदुक्खताविओ | जाव चिट्ठामि // 67 / / भो सुप्पइट्ठ ताव य तुमंपि इह आगओ पएसम्मि। तुमए मणिनीरेणं एसो मेल्लाविओ अहयं // 68 // युग्मम् / / ता भो तुमए दिन मह जीयं एत्थ नत्थि संदेहो / मणिणो य पभावाओ न य डेको दुट्ठसप्पेहिं // 69 / / अन्नह कह मह जीयं हविजगुरुवेयणा परद्धस्स / कोणासवयणसच्छहभीसणभुयगेहिं गहियस्स // 70 // तं जं तुमए पुढे केण तुम एरिसाए महईए। |खित्तो सि आवयाए तं सर्व साहियं एयं // 71 / / इय भो धणदेव ! तया सोउं खयरस्स भासियं तस्स / तत्तो य मए एवं विचिंतियं निययचित्तम्मि // 72 // पेच्छ नरा विबुहावि हु अणुरायपरवसा विसयगिद्धा / पाविति आवयाओ विविहाओ एत्थ संसारे // 73 // अच्छउ ता परलोगे इहेव पाविंति गरु 1 एतस्य दविता एतद्दयिता तस्याः। 2 आरब्धः आरम्भं कृतवान् / 3 वेपमानः कम्पमानः / 4 मेल्लाविओ=मोचितः / 5 दष्टः / 6 कीनाशः यमः। For Private and Personal Use Only