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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org नेत्रना चलनवलना खजावने पामी बे. चक्षुने बंध करती नथी. मतलब के, श्रेणिक राजा देवताथी पण श्रेष्ठ रूपवालो हतो. ॥ २०५ ॥ हवे एक काव्ये करी श्रेणिक राजानी | स्त्री सुनंदानुं वर्णन करे बे. लावण्य रूप जले करीने पूर्ण जाणे नर्मदा नदी ज होयनी ! | एवी पोताना दर्शने करीने लोकोने पवित्र करनारी, सारी चालवाली (समुद्रने विषे बेग मन जेणीनुं ) अने निरंतर प्रसन्न एवी ए श्रेणिक राजानी सुनंदा नामनी स्त्री हती. ॥३०॥ पैत्नी सुनंदनवर्देस्य रोझो, 'रेवैव 'लावण्यजलैः प्रपूर्णा ॥ पावित्र्यकत्री 'निजदर्शनेन, समुश्याना सततं प्रसन्ना ॥ ३० ॥ तदंगजोऽनूर्दयानिधानो मंत्रिप्रधानो धिषणानिधानम्॥ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir यैगुन्ग्विसाम्याय गुरुः कॅविज्ञऽप्ययपि मुंचति नैं " लेखशालाम्॥ ३१ Maratia तेणीना पुत्र अजयकुमारनुं वर्णन करे बे. मंत्री मां श्रेष्ठ अने बुद्धिनो नंमार एवो अजयकुमार नामनो ते सुनंदाने पुत्र हतो. जे अजयकुमारनी स मान बुद्धि पामवा माटे गुरु, शुक्र ने बुध श्राज सुधी पण लखवानी शालाने (देव) तार्जुनी शालाने) मूकता नथी. अर्थात् अजयकुमार गुरु, शुक्र अने बुधधी पण अधिक For Private and Personal Use Only
SR No.020772
Book TitleSulsa Charitam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Kalidas Shastri
PublisherJain Vidya Shala
Publication Year1899
Total Pages228
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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