SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 25
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Kxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxx माफक २, अपजात-भद्रबाहुस्वामीनी अपेक्षाए स्थूलभद्रनी माफक अने कुलांगार-कुलवालक साधुनी माफक, अथवा उदायिनृपने मारनार(कपटी साधु)नी माफक (सू० २४०) तथा 'चत्तारी' त्यादि० जेम छे तेम वस्तुने कहेबाथी अने जेबी रीते प्रतिज्ञा करेल तेवी रीते करवाथी सत्य, वली सत्य-संयमीपणावडे सत्वोने-जीवोने हित होवाथी अथवा पूर्वे सत्य हाँ, हमणा पण सत्य ज छे एवी रीते चोभंगी करवी, ए प्रमाणे सूत्रोने अतिदेश करतां थकां कहे छे-'एव'मित्यादि० स्पष्ट छे. विशेष आ प्रमाणे सूत्रो छे-चत्तारि परिसजाया पं० २०-सच्चे नामं एगेसच्चपरिणए४, एवं सच्चरूवे ४ सच्चमणे ४ सच्चसंकप्पे ४ सच्चपन्ने ४ सच्चदिवी ४ सच्चसीलायारे ४ सच्चयवहारे ४ सच्चपरकम्मति ४॥१ सत्य अने सत्यपरिणत, २ सत्य अने असत्यपरिणत, ३ असत्य अने सत्यपरिणत, ४ असत्य अने असत्यपरिणत. एवी रीते सत्य रूपपद, सत्य मनपद, सत्य संकल्पपद, सत्य प्रज्ञापद, सत्य दृष्टिपद, सत्य शीलाचार, सत्य व्यवहार अने सत्य पराक्रम-आ बधा उत्तरपदो साथे पूर्वमा सत्यपद जोडवाथी चतुर्भगी थाय छे. पुरुषोना अधिकारमा ज आ बीजूं कहे छे-'चत्तारि वत्थे 'त्यादि० शुचि-स्वभावे पवित्र, वली संस्कारवडे पवित्र अथवा कालना भेदवडे एटले पूर्वे पण पवित्र अने पछी पण पवित्र. पुरुषनी चाभंगीमां शुचि पुरुष दुर्गध रहित शरीरवडे वली शुचि स्वभाववडे, 'सुइपरिणए सुइरूवे' आबे सूत्रो दृष्टांत अने दार्टीतिक सहित छे. 'सुहमणे' इत्यादि. पुरुष मात्रने आश्रित ज सात सूत्रने अतिदेश करता थका कहे छे 'एवं मित्यादि० सुगम छे. (सू०२४१) पुरुषना अधि| कारमा ज आ अन्य सूत्र कहे छे-'चत्तारि कोरवे' इत्यादि० तेमां आंबो, तेनु प्रलंब-फळ, तेनु कोरक-तेने उत्पन्न करनार मुकुल (कलिका) ते आम्रपलंबकोरक, एवी रीते बीजा पण जाणवां. विशेष कहे छे के-ताल-वृक्षविशेष (ताडि), वल्ली Xxxxxxxxxxxxxxxxxx:XXXXXXXXX) For Private and Personal Use Only
SR No.020755
Book TitleSthanang Sutra Ppart 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevchandra Maharaj
PublisherMundra Ashtkoti Bruhadpakshiya Sangh
Publication Year1943
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sthanang
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy