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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (९) विमल केवल-ज्ञान कमला विमल-केवल-ज्ञान कमला, कलित-त्रिभुवन-हितकर; सुरराज-संस्तुत-चरणपंकज, नमो आदिजिनेश्वरं, विमलगिरिवर शृंगमंडण, प्रवर गुणगण भूधरं; सुर-असुर-किन्नर कोडी सेवित, नमो आदिजिनेश्वरं. २ करती नाटक किन्नरी गण, गाय जिनगुण मनहरं; निर्जरावली नमो अहोनिश, नमो आदिजिनेश्वरं. ३ पुंडरिक-गणपति सिद्धिसाधी, कोडी पण मुनि मनहरं; श्री विमलगिरिवर शृंग सिद्धा, नमो आदिजिनेश्वरं. ४ निज साध्य साधक सुर मुनिवर, कोडीनंत ए गिरिवरं; मुक्तिरमणी वर्या रंगे, नमो आदिजिनेश्वरं. पाताल नर सुरलोकमाहि, विमलगिरिवर तो परं; नहिं अधिक तीरथ तीर्थपति कहे, नमो आदिजिनेश्वर. ६ ईम विमलगिरिवर शिखरमंडण, दु:खविहंडण ध्याई ए; निज शुद्ध सत्ता साधनार्थ, परम ज्योति निपाई ए. ७ जित मोह कोह विछोह निद्रा, परमपद स्थित जयकरं; गिरिराज सेवा करण तत्पर, पद्मविजय सुहितकरं. ८ (१०) श्री शत्रुजय सिद्धक्षेत्र श्री शत्रुजय सिद्धक्षेत्र, पुंडरिकगिरि साचो; विमलाचलने तीर्थराज, जस महिमा जाओ. मुक्तिनिलय शतकूट नाम, पुष्पदंत भणीजे; महापद्मने सहस्रपत्र, गिरिराज कहीजे. ३० For Private and Personal Use Only
SR No.020745
Book TitleSiddhachal Vando Re Nar Nari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahendrasagar
PublisherMahendrasagar
Publication Year
Total Pages194
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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