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श्री सिद्धचक्र महापूजन विधि ॐ ह्रीं ह्रः फट शुक्राय स्वगण...।।६।। ॐ ह्रीं ह्रः फट् शनैश्चराय स्वगण...।।७।। ॐ ह्रीं ह्रः फट राहवे स्वगण...।।८।। ॐ ह्रीं ह्रः फट् केतवे स्वगण...।।९।। हाथ जोडीने आ स्तुति-श्लोक बोलवो
जिनेन्द्रभक्त्या जिनभक्तिभाजां, जुषन्तु पूजाबलिपुष्पधूपान्।
ग्रहा गता ये प्रतिकूलभावं,
ते मेऽनुकूला वरदाश्च सन्तु।।१।। दरेक स्थळे अक्षत तथा त्रांबानाणुं मूकवू ।
।।इति ग्रहपूजनम्।।
नवग्रह पूजनसामग्रीनु कोष्टक ग्रह | रवि | चंद्र | मंगळ | बुध | गुरु | शुक्र शनि | राहु | केतु वर्ण | लाल | श्वेत | लाल नीलो | पीळो | श्वेत | श्याम श्याम | श्याम
केसर | सुखड | केसर वासक्षेपा वासक्षेप सुखड | कंकु । कंकु | कं कु
(लाल) | बरास | (लाल) पुष्प | कणेर | कुमुद | जासुद | चंपो | चमेली| जूई | बोरसली मचकुंद पंचवर्णा
| मोगरो दमणो | डमरो फळ | द्राक्ष | शेरडी | राती नारंगी | नारंगी बीजोरु खारेक | श्रीफळ | दाडम
| सोपारी,
नैवेद्य
। लाडु | लाडु | लाडु लाडु | लाडु | लाडु | लाडु | लाडु | लाडु चुरमानो | ममरानो | गोळधाणीनो | मगनो चणानो ममरानो अडदनी दाळनो
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