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श्री सिद्धचक्र महापूजन विधि
लाल
दिक्पाल पूजनसामग्रीन कोष्टक नाम | वर्ण पूजन द्रव्य
| फळ | नैवेद्य । शेष इन्द्र । पीळो केसर | चंपो पीळो । नारंगी मोतीओ अथवा अक्षत-नाणुं
चणानो लाडु अग्नि पीळो केसर जासुद लाल लाल सोपारी चूरमा अथवा | अक्षत-नाणुं
घउंनो लाडु यम श्याम | कंकु दमणो मरुओ काळी सोपारी अडदनो लाडु अक्षत-नाणु नैऋत | लीलो | चुओ सुखड | मालती-बोलसरी | दाडम तलवटनोलाडु | अक्षत-नाणुं वरुण | सफेद | चुओ सुखड दमणोबोलसरी | दाडम मगदळनो लाडु | अक्षत-नाणु वायु सफेद वास चुओ कस्तूरी चंपो नारंगी | ममरानो लाडु | अक्षत नाj कुवेर | पंचवर्ण | सुखड वरास जाई । वीजोरुं ममरानो लाडु | अक्षत-नाणुं ईशान सफेद | सुखड कुमुद सफेद शेलडी | ममरानो लाडु | अक्षत-नाj ब्रह्म सफेद सुखड सेवन्त्रा(लीला) वीजोरु | घेबर अक्षत-नाणुं | नाग श्याम सुखड | मोगरो । बदाम । पेंडा
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॥अथ नवग्रहपूजनम्।। ॐ ह्रीं ह्रः फट आदित्याय स्वगणपरिवृताय इदमयँ पाद्यं गन्धं पुष्पं धूपं दीपं चकं फलं स्वस्तिकं यज्ञभागं यजामहे प्रतिगृह्यतां प्रतिगृह्यतामिति स्वाहा।।१।।आगळ पूर्वनी जेमॐ ह्रीं ह्रः फट् सोमाय स्वगण...।।२।। ॐ ह्रीं ह्रः फट मङ्गलाय स्वगण...।।३।। ॐ ह्रीं ह्रः फट बुधाय स्वगण...।।४।। ॐ ह्रीं हः फट बृहस्पतये स्वगण...।।५।।
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