SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 45
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Anh श्री सिद्धचक्र महापूजन विधि लाल दिक्पाल पूजनसामग्रीन कोष्टक नाम | वर्ण पूजन द्रव्य | फळ | नैवेद्य । शेष इन्द्र । पीळो केसर | चंपो पीळो । नारंगी मोतीओ अथवा अक्षत-नाणुं चणानो लाडु अग्नि पीळो केसर जासुद लाल लाल सोपारी चूरमा अथवा | अक्षत-नाणुं घउंनो लाडु यम श्याम | कंकु दमणो मरुओ काळी सोपारी अडदनो लाडु अक्षत-नाणु नैऋत | लीलो | चुओ सुखड | मालती-बोलसरी | दाडम तलवटनोलाडु | अक्षत-नाणुं वरुण | सफेद | चुओ सुखड दमणोबोलसरी | दाडम मगदळनो लाडु | अक्षत-नाणु वायु सफेद वास चुओ कस्तूरी चंपो नारंगी | ममरानो लाडु | अक्षत नाj कुवेर | पंचवर्ण | सुखड वरास जाई । वीजोरुं ममरानो लाडु | अक्षत-नाणुं ईशान सफेद | सुखड कुमुद सफेद शेलडी | ममरानो लाडु | अक्षत-नाj ब्रह्म सफेद सुखड सेवन्त्रा(लीला) वीजोरु | घेबर अक्षत-नाणुं | नाग श्याम सुखड | मोगरो । बदाम । पेंडा - - ॥अथ नवग्रहपूजनम्।। ॐ ह्रीं ह्रः फट आदित्याय स्वगणपरिवृताय इदमयँ पाद्यं गन्धं पुष्पं धूपं दीपं चकं फलं स्वस्तिकं यज्ञभागं यजामहे प्रतिगृह्यतां प्रतिगृह्यतामिति स्वाहा।।१।।आगळ पूर्वनी जेमॐ ह्रीं ह्रः फट् सोमाय स्वगण...।।२।। ॐ ह्रीं ह्रः फट मङ्गलाय स्वगण...।।३।। ॐ ह्रीं ह्रः फट बुधाय स्वगण...।।४।। ॐ ह्रीं हः फट बृहस्पतये स्वगण...।।५।। For Private And Personal Use Only
SR No.020740
Book TitleSiddhachakra Mmahapujan Vidhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArvindsagar
PublisherArunoday Foundation
Publication Year1998
Total Pages125
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Ritual, & Vidhi
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy