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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Ah Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्री सिद्धचक्र महापूजन विधि १३ आ वज्रपंजर स्तोत्र चेष्टापूर्वक बोली-आत्मरक्षा करवी । पछी श्रीसिद्धचक्रना संपूर्ण मंडलनुं हृदयमां चिंतवन करतां साफ करेला बाजोठ उपर श्रीसिद्धचक्रनो मंत्रपट्ट स्थापन करी पूजा शरु करवी। तेमां सौथी प्रथम मंडलमा क्षेत्रपालने स्थानके एक नाळियेर स्थापन करवू ने तेना उपर चमेलीना तेलना छांटणा करवा । ॐ अत्रस्थक्षेत्रपालाय स्वाहा ।। ए मंत्र बोली क्षेत्रपालनी अनुज्ञा करवी । पछी-सात वार नीचेनो मंत्र बोली सरसव रक्षा मंत्रवी । ॐ हूँ (९) यूँ फुट् किरिटि किरिटि घातय घातय, परकृतविघ्नान् स्फेटय स्फेटय, सहस्रखण्डान् कुरु कुरु, परमुद्रां छिन्द छिन्द, परमन्त्रान् भिन्द भिन्द हुँ क्षः फुट् स्वाहा ।। ॐ नमोऽर्हते रक्ष रक्ष हुँ फुट् स्वाहा।। ए मंत्र बोलीने पूजन करनाराओने हाथे राखडी बांधवी। ॐ ह्रीं अहँ श्रीसिद्धचक्रात्र मेरुनिश्चले वेदिकापीठे तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्वाहा।। ए मंत्र बोली जे पीठ उपर श्रीसिद्धचक्र यंत्र स्थापन को छे ते पीठने हस्तस्पर्श करवो। ।। ॐ ह्रीं अर्ह सिद्धाधिपतये नमः ।। ए मंत्र बोली श्रीसिद्धचक्रयंत्रने हस्तस्पर्श करवो।। पछीथी मधुर स्वरे (पं. श्री वीरविजयजीकृत) स्नात्रपूजा भणाववी। For Private And Personal Use Only
SR No.020740
Book TitleSiddhachakra Mmahapujan Vidhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArvindsagar
PublisherArunoday Foundation
Publication Year1998
Total Pages125
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Ritual, & Vidhi
File Size7 MB
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