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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रतिमाजी को अभी ही लेप करवाया गया है। पास ही दो बिशाल प्रतिभाजी विराजमान है जो कि अपने आपमें अलोकिक एवं दर्शनीय है । यहां गभारे में ही प्रभुजी के सामने ही पद्मावती माताजी को चमत्कारी प्रतिमाजी विराजमान है । मूलनायक प्रभु की बाई ओर प्रभुजी को प्रगट करने वाले महान विद्वान आचार्यदेवश्री सिद्धसेन दिवाकर सूरिजी की प्रतिमा गोखले में विराजमान है। गुरुदेव श्री सिद्धसेन दिवाकर सूरिजी की प्रतिष्ठा आगमोद्धारक पूज्य आचार्य भगवन्त श्री भानन्दसागर सूरीश्वरजी म. सा. के पावन वासक्षेप से कराई गई है । दाहिनी ओर अधिष्ठायक श्री माणीभद्रवीर की देहरी है । हाथी पर सवार अधिष्ठायकदेव महाप्रभावी है। यहां मोतीझरे के रोगी अपने रोग मिटाने के लिये आकर मानता करते हैं तथा माणीभद्रजी का पक्षाल ले जाकर रोगी को निरोगी करते है । अजैन लोग इन्हें मोतीबापजी के नाम से पुकारते हैं। अपनी मानता पूर्ण होने पर मोतीबाषजी को वे प्रसाद चढ़ाते हैं । I पधारिये ! अवश्य पधारिये ! ! जरुर पधारिये !!! श्री सिद्धचक्राराधन केशरियानाथ महातीर्थ श्रीपाल मार्ग, खाराकुआ उज्जैन की यात्रा पर आप सह परिवार अवश्य ही एक बार पधारकर तीर्थयात्रा का लाभ लेंवें । इस तीर्थ को महासती मयणासुन्दरी और महाराजा श्रीपाल राजा की आराधना स्थली बनने का गौरव प्राप्त हुआ है । यहां ठहरने के लिये उत्तम व्यवस्था है धर्मशाला की । धर्मशाला आधुनिक साधनों से युक्त है । भोजनशाला प्रतिदिन चालू रहती है। अवश्य ही पधारकर यात्रा एवं यहां ठहरने का लाभ हमें दें । निवेदक श्री ऋषभदेव जी छगनीराम जी पेढी श्रीपाल मार्ग, खारा कुआ उज्जैन म.प्र. [45] For Private and Personal Use Only
SR No.020739
Book TitleSiddhachakra Aradhan Keshariyaji Mahatirth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJitratnasagar, Chandraratnasagar
PublisherRatnasagar Prakashan Nidhi
Publication Year1989
Total Pages81
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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