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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org सीढियां उतरकर नीचे जाने पर भगवान श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ का जिना - लय आता है जिनालय में तीन प्रतिमाजी हैं। भगवान श्री शंखेश्वर पार्श्व प्रभु की प्रतिमा अद्भुत और अलौकिक है। जिस पर शिलालेख नहीं है किन्तु प्रतिमा भारतभर में बहुत प्रसिद्ध है। प्रतिमाणी प्राचीन प्रतीत होती है। प्रतिमा जी कसोटी की प्रतित होती है। कुल तीन प्रतिमाजी है । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथजी चोक की बाई तरफ मुलनायक श्री ऋषभदेव स्वामी का जिनालय है । उस जिनालय के विशाल गभारे में १५ प्रतिमाजी है । मूलनायक श्री ऋषभदेव जी प्रभु पर १६५९ का शिलालेख अंकित है । इस जिनालय में पांच तिगडे याने तीन तीन प्रतिमाजी विराजमान है। मूलनायक जी की दाई तरफ श्री ऋषभदेव जी की arraf विशाल प्रतिमा जो तथा बाई तरफ श्री पार्श्वनाथ प्रभु जी को श्यामवर्णी विशाल प्रतिमाजी विराजमान है । ये दोनों प्रतिमाजी भी प्राचीन प्रतित होती है। शिलालेख है किन्तु पढने में नहीं आते है । रंगमण्डप में आदिदेव श्री मूलनायक जी के गणधर श्री पुण्डरिक स्वामी की प्रतिमा अभी गोखले में विराजमान की गई हैं। जिनालय की भीतें एवं स्थम्वों पर आरस मढ़ा हुआ है । इस जिनालय का जीर्णोद्वार विक्रम संवत २०३४ में हुआ है । मूलनायक जो के जिनालय के उपर श्री महावीरस्वामीजी का जिनालय है मूलनायक भगवान की प्रतिमा महाराज सम्प्रति कालीन | सम्प्रति राजा के चिन्ह प्रतिमाजी पर मौजद हैं कुल ६ प्रतिमाजी बिराजमान है । [30] For Private and Personal Use Only *
SR No.020739
Book TitleSiddhachakra Aradhan Keshariyaji Mahatirth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJitratnasagar, Chandraratnasagar
PublisherRatnasagar Prakashan Nidhi
Publication Year1989
Total Pages81
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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