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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विक्रम संवत् २०३४ में तिलघर में विराज रहे भगवान श्री शंखेश्वरपाश्र्वनाथ प्रभु के जिनालय का खाद मुहूर्त भी पूज्य मुनिराज श्री अभ्युदयसागरजी म. सा. की प्रेरणा से गौतमपुरा निवासी श्रेष्ठिवर्य श्री मनसुखलालजी मंडोवरा के सुपुत्र दीक्षार्थी श्री पंचमलालजी मंडोवरा के करकमलों से करवाया गया। .. तीनों जिनालय तथा गुरुमन्दिर की पुन: प्रतिष्ठा विक्रम संवतू २०३४ के फागण बिदी २ को पूज्य मनिराज श्री अभ्युदयसबरजी म. सा. तथा पूज्य मुनिराज श्री नवरत्नसागरजी म. मुनि श्री अपूर्वरत्नसागरजी म., मुनिश्री मिनरत्नसागरजी म., मुनि श्री जयरत्नसागरजी म., मुनि श्री जितरत्नसागरजी म., मुनि श्री चन्द्ररत्नसागरजी म. तथा नूतनदीक्षित मुनि श्री मुक्तिरत्नसागरजी म. आदि मुनिमंडल एवं साध्वीजी श्री फल्गुश्रीजी म. साध्वीजी श्री इन्दुश्रीजी म. आदि ठाणा ५० को निश्रा में महोत्सव पूर्वक सानंद सम्पन्न हुई थी। तीर्थ की वर्तमान स्थिति श्रीपाल मार्ग, खाराकुआ स्थित मुख्य राजमार्ग पर उत्तर सम्मुख विशाल मुख्य द्वार बना हुआ हैं। द्वार पत्थर का मजबत बनाया गया है जिसके उपर नगारखाना बनाया गया है। द्वार के दाई ओर पेढ़ी का मुख्य कार्यालय है। आगे चलकर एक छोटा सा चौक है। उसके सामने भव्य विशाल तीन मंजिल उपाश्रय भवन है । नीचे तलमंजील व्याख्यान हाल तथा उपर पूज्य मुनिराजों को ठहरने हेतु विशाल हाल हैं। तीसरी मंजीक पर ज्ञानमन्दिर है। पेढ़ी के पास ही नतन "आनंद चन्द्र-अभ्युदय आराधना भवन" बना हुआ है । इस उपाश्रय के पास हो एक पतली ग़ली है जिससे लगी हुई विशाल तीन मंजीक "नवपद लक्ष्मी निवास" धर्मशाला की इमारत है । उसके सामने विशाल एवं सुरम्य खुल्ला चौक है । जो कि मारवल के दाने से जड़ा हुआ है । धर्मशाला के ठीक सामने ही "श्री वर्धमान तप आयम्बिल भवन तथा श्री पार्वतीबाई भोजन शाला की तीन मंजील इमारत है। चौक के मध्य से जिनालय में प्रवेश हेतु मारबत का कलात्मक विशाल मुख्य द्वारा है। मुख्य द्वार से लगा हमाही संगमरमर से मढा हुआ विशाल खुला चौक है । मुख्य द्वारा की बाईं तरफ कोने में तीकघर में जाने का मार्ग है। साथ ही उपर के जिनालयों में जाने के लिये सीढियां है। [29] For Private and Personal Use Only
SR No.020739
Book TitleSiddhachakra Aradhan Keshariyaji Mahatirth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJitratnasagar, Chandraratnasagar
PublisherRatnasagar Prakashan Nidhi
Publication Year1989
Total Pages81
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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