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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १०२ अविदाही लघुः स्वादुः कषायो रूक्ष दीपनः ॥ वृष्यो रुच्यो ज्वरश्वास मेहकुष्टभ्रम प्रणुत् ||३२|| सुनिषण्ण ठंडा ग्राहक त्रिदोषनाशक दाहशामक सुपाच्य दीपक ज्वरशामक है । - ( भावमिश्र कृत भावप्रकाश निघण्टु, शाकवर्ग ) पारापत फलगुण - दाहनाशक ज्वरनाशक तथा शीतल । चौपत्तीया भाजी - दाहनाशक ज्वरहर शीतल तथा मलशोधक ( दस्त बंध करनेवाली) खटाश-भाजीनां शाक दहीं नाखीने खाटां करवानो रिवाज जाणीतो छे. पटले खटाशनी जग्याए दहीं लइए तो झाडाना रोगमां अत्यंत फायदा कारक छे, आवी रीते आ चीजो प्रभु महावीर स्वामीना रोगनी दृष्टिए उपयोगी है. - ( महो० काशीविश्वनाथ प्रहादजी व्यास, साहित्याचार्य काव्य साहित्यविशारद मीमांसा शास्त्री, एल. ए. एम्. लिखित शास्त्रीय खुलासो, जैनधर्म प्रकाश पु० ५४ अं० १२ पृ० ४२७) (२) बीजौरा के गुणदोष - श्वास कासा ऽरुचिहरं तृष्णानं कण्ठशोधनम् ॥ १४८ ॥ लध्वम्लं दीपनं हृद्यं मातुलुङ्गमुदाहृतम् ॥ त्वक् तिक्ता दुर्जरा तस्य, वातकुमिकफापहा ॥ १४९ ॥ स्वादु शीतं गुरु स्निग्धं, मांसं मारुतपित्तजित् ॥ मेध्यं शूलानिलछर्दि - कफारोचकनाशकम् ॥ १५०॥ दीपनं लघु संग्राहि, गुल्मार्शोघ्नं तु केसरम् ॥ शूलानिलविबन्धेषु, रसस्तस्योपदिश्यते ॥ १५१ ॥ अरुचौ च विशेषेण, मन्दे ऽग्नौ कफ मारुते ॥ बीजौरा - तृष्णा शामक, कण्ठ शोधक, दीपक है। बीजौरा का मांस (गुदा) शीत बायुहर पित्तहर है, वगेरह वगेरह | - ( सुश्रुतसंहिता) For Private And Personal Use Only
SR No.020729
Book TitleShvetambar Digamber Part 01 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDarshanvijay
PublisherMafatlal Manekchand Shah
Publication Year1943
Total Pages290
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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