SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 82
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (७३) वरच्छरसाबहुआहि, सुरवररइगुणपंडिअआहि ॥ ३० ॥ भासुरयं । वंससद्दतंतिताल मेलिए तिउरकराभिरामसदृमीसएकएअ, सुइसमाणणेअसुद्ध सजगीअपायजालघंटिआहिं ॥ वलयमेहलाकलावनेउराभिराम सद्दमीसए कएअ देवनट्टिआहि ॥ हावभावविष्भमप्पगारएहि नचिऊण अंगहारएहिं बंदिआय जस्स ते सुविकमाकमा ।। तयं तिलोयसबसत्तसंतिकारयं पसंतसवपावदोसमेसहं नमामि संतिमुत्तमं जिणं ॥ ३१ ॥ नारायओ ॥ छत्तचामरपडागजूब जवमंडिआ झयवरमगरतुरयसिरिवच्छसुलंछणा ॥ दीवसमुद्द मंदिरदिसागयसोहिआ, सत्थिअवसहसीहसिरिवच्छसुलंछणा ॥३२॥ ललिअयं ॥ सहावलट्ठा समप्पइहा, अदोसदुद्दा गुणेहि जिहा ।। पसायसिहा तवेण पुट्ठा, सिरीहिं इट्टा रिसीहिं जुट्टा ॥ ३३ ।। वा णवासिआ ॥ ते तवेण धुअसबपावया, सबलोअहिअ मूलपावया ।। संथुआ अजिअ संति पावया, हुंतु मे सिबसुहाणदायया ॥ ३४ ॥ अपरांतिया ॥ एवं तवबलविउलं, थुझं मए अजिअ संति जिण जुयलं ॥ ववगयकम्मरयमलं, गई गयं सासयां विमलां ॥ ३५ ॥ गाहा ॥ तं बहुगुणप्पसायं मुरकसुहेण परमेण अविसायं ॥ नासेउ मे विसायं, कुणउ अ परिसाविअ पसायं ॥३६॥ गाहा ॥ तं मोएउ अनंदि, पावेउअ नंदिसेणमभिनंदि ॥ परिसाविअ सुहनंदि, मम य दिसउ संजमेनंदि ।। ३७ ॥ गाहा । परिका चाउम्मासिय, संवच्छरिए राइए अ दिअहेअ ( अवस्स भणिअबो)। सोअबो सहिं, उवसग्ग निवारणो एसो ॥ ३८ ॥ जो पढइ जो अनिसुणइ, उभओ कालंपिअजिअसंतिथुरं ॥ न हु हुँति तस्स रोगा, पुवुप्पन्ना विनासंति ॥ ३९ ॥ जइ इच्छह परम पयं, अहवाकित्ति सुवित्थडां । एवं तवला, हुतु मे सिाहिब मूलप For Private And Personal Use Only
SR No.020721
Book TitleShravak Nitya Krutya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinkrupachandrasuri
PublisherNirnaysagar Press
Publication Year1923
Total Pages178
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy