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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (७२) अजिअं अजिअं पयओ पणमे ॥ २१॥ विज्जुविलसि ॥ आगयावरविमाणदिवकणगरहतुरयपहकरसएहिं हुलिअं ॥ ससंभमो अरण रकुभिअलुलिअचलकुंडलं गयतिरीडसोहंतमउलिमाला ॥ २२ ॥ वेढओ ॥ जं सुरसंघा सासुरसंघा वेरविउत्ता भत्तिसु जुत्ता, आयर भूसिअ संभमपिडिअ सुहसुविह्मिअसबबलोघा ॥ उत्तमकंचण रयणपरूविज भासुरभूसणभासुरिअंगा, गायसमोणयभत्तिवसागय पंजलिपेसियसीसपणामा ॥ २३ ॥ रयणमाला ॥ वंदिऊण थोऊण तो जिणं, तिगुणमेव य पुणोपयाहिणं ॥ पणमिऊणय जिणं सुरासुरा. पमुइआ सभवणाइतो गया ॥ २४ ॥ खित्तयं ॥ तं महामुणिमहपि पंजलि, रागदोसभयमोहवजिअं ॥ देवदाणव नरिंदवंदिअं, संतिमुत्तममहातवं नमे ॥ २५ ॥ खित्तयं ॥ अंबरंतरविआरणिआर्हि, ललिअहंसबहुगामिणिआहि ॥ पीणसोणित्थण सालणिआहिं, सकलकमलदललोअणिआहि ॥ २६ ॥ दीवयं ॥ पीणनिरंतरथणभरविणमियगायलयाहि, मणिकंचणपसिढिलमेहल सोहिअ सोणितडाहिं ॥ वरखिंखिणिनेउरसतिलयवलय विभूसणियाहि, रहकरचउरमणोहर सुंदरदंसणियाहिं ॥२७॥ चित्तरकरा ॥ देवसुंदरीहिं पायवंदिआहिं वंदिआय जस्स ते सुविकमाकमा अप्पणो निडालएहिं मंडणोड्डणप्पगारएहि केहि केहिं वि अवंगतिलयपत्तलेहनामएहिं चिल्लएहिं संगयं गयाहिं भत्तिसन्निविट्ठवंदणागयाहिं हुंति ते वंदिआ पुणो पुणो ॥ २८ ॥ नारायओ ॥ तमहं जिणचंद, अजिअं जिअमोहं ।। धुअसवकिलेसं पयओ पणमामि ॥ २९ ॥ नंदिअयं ।। थुअ वंदिअस्सा रिसिंगणदेवगणेहिं, तो देववहूहिं पयओ पणमिअस्सा ॥ जस्स जगुत्तमसासणयस्सा, भत्तिवसागयपिंडिअआहिं ॥ देव For Private And Personal Use Only
SR No.020721
Book TitleShravak Nitya Krutya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinkrupachandrasuri
PublisherNirnaysagar Press
Publication Year1923
Total Pages178
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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