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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (१५०) काउसग्गदिलधार ॥ वा० ॥१३॥ मौनकरीमल्लिनाथजी ॥ सु०॥ एकदिवससुखकार ॥ वा० ॥ मौनप्रथा इणपरिथइ ॥ सु०॥ लह्योकेवलश्रीकार ॥ वा० ॥ १४ ॥ (ढाल बीजी) मातात्रिशला झुलावे पुत्रपालणे ॥ एदेशी सुखकर देवनिरंजननेमिजिनेंदइमउपदिसे ॥ ए आंकडी ॥ भविजन भावधरिने सांभलेश्रीजिनवाण, अमीरसवयणेश्रवणअंजलीभर पीवतां, एतो जायै भवभवनिर्मितकर्मनिवाण ॥ सु० ॥१५॥ भवियण अंगइग्यारआराधवातपविधिएकही, जेहथीपामे अनुपममहिमाअतुलअपार, वरसइग्यारनेमासएकादश तपकरो, संपूरण तप हुवाहोवेमंगलकार ॥ सु०॥ १६ ॥ भ० अंगइग्यारे लिखावे सुवरण अक्षरे, पुस्तक पूठा ठवणी नवकरवाली सार, कवली झिलमिलपाटीनेवलि पाटली, वीटणामखमलरेसम बरतणामनुहार ॥ सु०॥ १७ ॥ भ० डोरालेखण झावी वासकुंपावलि कोथली, बटवा मिजासणने चंदरवाअधिकार, पूठीया चोपडरुमालनानाभातिना, पाटापाटलाने त्रिगडो रचैसुखकार ॥ सु० ॥ १८ ॥ भ० केसरसूखडखसकुंचीने वाटकी, प्यालाने कलसाअंगलूहणादिलधार, चामर छत्रत्रयने आभूषण रत्नेजड्या, रचियै वासखेपादिपूजाविविधप्रकार ॥ सु० ॥ १९ ॥ भ० देवपूजा तिम गुरुपूजाविधिआदरो, करियै साहमीवछलधरियैभाव विसाल, रात्रिजागोकरि जिनगुणगावो प्रीतसुं अधिको धनखरचीने लहियेरंगरसाल ॥ सु० ॥२०॥ भ० इग्यारसनोतपसेवोभलेभावसुं, सुव्रतसेठे पौषधथी चितलाय, चौरअग्निना उपद्रवथीतेऊगर्यो, एतिथी सेव्यां सिवमारगमां सुखेजवाय ॥ सु० ॥ २१॥ कलश ॥ ईम नेमिजिनवरस्यामसुखकर सिवादेवीनंदनो, एकादशीतपफल For Private And Personal Use Only
SR No.020721
Book TitleShravak Nitya Krutya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinkrupachandrasuri
PublisherNirnaysagar Press
Publication Year1923
Total Pages178
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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