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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (९५) गलिकह्यो । सेजैमाहातमएम ॥ ३॥ सेर्जेज तीरथ सारिषो ॥ नहीछे तीरथ कोय, स्वर्गमृत्यु पातालमै ॥ तीरथसगलाजोय ॥४॥ नामै नवनिधि संपजै ॥ दीठां दुरितपुलाय ॥ भेटतां भवभयटलै ॥ सेवंतां सुख थाय ॥५॥ जंबूनामैदीपए, दक्षिणभरत मझार ॥ सोरठ देस सुहामणो ॥ तिहां छै तीरथसार ॥६॥ ढाल पहिली: रामगिरि ॥ सेजोने श्रीपुंडरीक ॥ सिद्धक्षेत्रकहुं तहतीक ॥ विमलाचलने करूं परणाम ॥ ए सेजैना इकवीसनांम ॥१॥ सुरगिरिने महागिरि पुन्यरास ॥ श्रीपदपर्वत इंद्रप्रकास । महातीरथ पूरवे सुखकाम ए० ॥२॥ सासतोपर्वतने दृढशक्ति ॥ मुक्तिनिलो तिणकीजैभक्ति ॥ पुष्पदंत महापदम सुठाम ॥ ए० ॥ ३॥ पृथ्वीपीठ सुभद्र कैलाश ॥ पातालमूल अकर्मकतास । सर्वकाम कीजै गुणग्राम ॥ ए० ॥ ४ ॥ श्रीसेजुजैनाइकवीसनाम ॥ जपैजे वेठाअपणैठांम ॥ सेजुजैजाबानो फललहै ॥ महावीर भगवंत इमकहै ॥ ५॥ दुहा ॥ सेजुजो पहिलैअरै असीजोयणपरमाण ॥ पिठुलो मूल ऊंच पण ॥ छवीसजोयण जाण ॥१॥ सित्तरजोयण जाणवो ॥ बीजै अविशाल ॥ वीसजोयण ऊंचो कह्यो ॥ मुजवंदणा त्रिकाल ॥२॥ साठजोयणतीजै अरै ॥ पिहलो तीरथराय ॥ सोलजोयण ऊंचो सही ॥ ध्यान धरूं चितलाय ॥ ३ ॥ पचासजोयण पिहुलपण ॥ चोथै अरै मझार ।। ऊंचो दस जोयण अचल । नितप्रणमें नरनार ॥ ४ ॥ वारजोयण पंचम अरै ॥ मूलतणै विस्तार ।। दोजोयण ऊंचो अछै ॥ सेजो तीरथ सार ॥५॥ सातहाथ छठे औरै ॥ पिडुलो परवतएह ॥ For Private And Personal Use Only
SR No.020721
Book TitleShravak Nitya Krutya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinkrupachandrasuri
PublisherNirnaysagar Press
Publication Year1923
Total Pages178
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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