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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra अतिचार आलोचना दैनिक 'अमर' सर्व पाप-दोष मिथ्या होवें, एषणा समिति में जो दूषण श्रादाननिक्षेप-समिति www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir - वस्त्र पात्र पुस्तकादि पडिले - पूँजे विना, देखे-भाले विना मन आया जहाँ बगाया हो । देह में घुसाया भूत आलस्य विनाशकारी, प्रतिलेखना का श्रेष्ठ काल बिसराया हो ॥ संयम का शुद्ध मूलतत्व सुविवेक छोड़, सूक्ष्म जीव जन्तुओं का जीवन नशाया हो । दैनिक 'अमर' सर्व पाप - दोष मिथ्या होवें, आदान समिति में जो लगाया हो ॥ · दूषण उत्सर्ग (परिष्ठापना ) समिति परठने- योग्य कफ मल मूत्र आदि आगमोक्त योग्य भूमि में न फेंक लगाया हो || ३६७ For Private And Personal दिया, भुक्तशेष अन्न-जल दूर ही से दूर ही से सर्वथा असंयम का पथ अपनाया हो । स्वच्छ, शान्त, स्वास्थ्यकारी स्थानों को बिगाड़ा हन्त, जैनधर्म एवं साधु-संघ को लजाया हो । दैनिक 'अमर' सर्व पाप-दोष उत्सर्ग-समिति में जो मिथ्या होवें, लगाया हो ॥ दूषण वस्तु, परठाया हो । मनोगुसि व्यर्थ के अयोग्य नाना संकल्प-विकल्प जोड़तोड़, चित्त चक्र श्रति चंचल डुलाया हो । किसी से बढ़ाया राग किसी से बढ़ाया द्वेष, परोन्नति देख कभी ईर्ष्या-भाव आया हो ॥ -
SR No.020720
Book TitleShraman Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarchand Maharaj
PublisherSanmati Gyanpith
Publication Year1951
Total Pages750
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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